उपमा कालिदासस्य | Upama Kalidassya
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री शशि भूषण दास गुप्त - Sri Shashi Bhushan Das Gupt
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपमा कालिदासस्य १५
बीजरूपिणी' पराशक्ति--जिससे विश्व-सष्टि उत्सारित होती है, वही नाव-
रूपिणी पराशक्ति । इस पराशक्ति को तस्त्र में कहा गया है कामेश्वरी , ज्ञान-
भात्रतनु शिव की सकन अभीए-पूति द्वार उसकी सकल कामना पूर्ण कर उस
को सदानन्द मे निमग्न रखने कै कारण रौ वे कामेश्वरी है । शिव की अ्रभीष्ट
पूर्ति शब्द का तात्पर्य है--झिव का सुण्छु श्रकाश । इस प्रकाश-रूपिणी देवी
को तभी तो कहा गया है ज्ििव को विमल आदर्शरूपिणी । कोई जिस तरह झाप
ही अपना झास्वाद नही ग्रहण कर सकता--निर्मल दर्पण मे आत्म-सौन्दर्य-
माधुर्य सम्यक् प्रतिफलित होने पर उस के अवलम्बन द्वारा ही जैसे झात्म-
प्रास्वादन सम्भव है, वंसे ही प्रकाशरूपिणी शक्ति के विमल श्रादश (दपण)
में आत्म प्रतिफलत को देखकर झिव आत्म-सम्भोग करते है । काव्य और
भ्रन्यान्य कला के ধীন ম শী উস নতী सत्य देखते हैं । अमृत्त चिता, वह कितनी
ही सूक्ष्म एब मूत्यवान् क्यो न हो जव तक उपयुक्त रूप का श्राश्रय ले प्रवाश्ित
नही होती, तबतकः वह ধনু ই, अनास्वाद्य है । कुन्तक के “वक्रोक्तिकाव्यजीवित”
प्रन्य के आरम्भ में साहित्य की तात्पय॑-व्याख्या मे भी हम ठोवः वही बात देख
भ्राये है, इसीलिए वुन्तक साहित्य के 'द्वितय धर्म के दोनों पक्षो पर समान
जोर दे गए हैं--उनके द्वारा कथित तत्व” और “निर्मिति' ही है कालिदास वे
গস গত 'शब्द'--वे ही हैं परमेश्वर एवं पार्वती 16
हमने ऊपर वाज्य व भावर्प ($9ए0ा/) भौर मवरूप (७2725507) के
सम्बन्ध मे जो विवेचन क्या है, उस समस्त विवेचन वा एवं हो मुख्य लक्ष्य है ।
उस लट्ष्य वो स्पष्ट वर यो कहा जा सकता है--वालिदास के वाब्य मे जितने
उपमा-प्रयोग (प्र्थातु मोटे तौर पर प्रलकार-प्रयोम) है, वे वालिदास वै काव्य-
शारीर मे सचेतन श्रारोपित गुरा नदी है-वे उनकी श्रसाधारण बाव्य-दानी
मे हो साधारण धर्म हैं--इस दृष्टि से विचार कथि चिना, महाकवि वासिदास
की उपमताड्रो म जो चमत्कार हैं, ययायथ रुप से हम তলন্বা भास्वादन नहीं
यर सबंगे।
० वातलिदास ने 'दुमारसभव म पावती प्रदान बरने वे प्रसय में महपि
झ्रगिरा वे झुंस से बहलवाया है
लमपंनिक भारत्या चुतरया योवनुमहं ति 1 (६।३€)
आरती या शच्द वे साथ जैस पर्य का मिलन कराया जाता है, सुम्हारो
बस्या ये साथ यैस ही महारव बा मित्रा बरासा उचित है ।
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