पहला नम्बर | Pahla Number

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Pahla Number by श्री रविन्द्रनाथ ठाकुर - Shree Ravindranath Thakur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५५ रहेगा।' ॥ । मैं बहुत खुश हुआ । अपने दल के लोगा से कहा--'देखो, स्त्रियों को कैसा एक सहज बोध होता है ! इसीलिए जो सब वस्तुएँ प्रमाणयोग्य समझी जाती हैं, उसे वे लोग समझ ही नही पाती, परन्तु जिन सब वस्तुओ का कोई प्रमाण ही नही है, उहं समझने मे उनको तनिक भी देर नही होती ! कहाईलाल ने हँसकर कहा--“जसे पेंचो1 ब्रह्मदैत्य, ब्राह्मण की पद घूलि बा माहात्म्य, पतिदेवता की पूजा का पुण्य फल इत्यादि, इत्यादि मैं बोला--'नही जी, यही देखों न, हम लोग इस पहले नम्बर वाले के आड- म्वर को देखकर स्तम्भित हो गए हैं, परतु अनिला उसकी साज-सज्जा के भुलावे में नही आई है ।! अनिला ने दो-तीन बार मकान बदलन की बात कही । मेरी इच्छा भी थी, परन्तु कलकते की गली गली मे दूढते फिरने जैसी लगन मुझ म॑ नहीं थी । अत में एक दिन शाम के स्रमय देखा गया कि कहाईलाल एवं सतीश पहले नम्बर ম टेनिस खेल रहे हैं। उसके वाद जन-श्रुति सुनाई पडी, यति ओोर हरेन पहले नम्बर मे सगीत की महफिल मे जाते हैं--एक तो हारमोनियम बजाता है एव दूसरा तबले को सगत करता है जोर अरुण ने भी वहाँ मजाकिया गान गा कर खूब प्रतिष्ठा पाई है। इन लोगो को मैं पाँच छ वर्षों से जानता हूँ, परतु नम ये सब गुण थे, इसका तो मैंन सन्देह भी नही किया था। विशेषत मैं जानता था कि अरुण के प्रधाव शोक' का विषय है--तुलनामूलक घमशास्त्र । वह मजाकियां गानो का भी उस्ताद है, यह मैं कैसे समझता ? सच बात वहता हूँ, मैं इस पहले नम्बर वाले की मुह से जितनी अवज्ञा करता, मन ही-मन् उतनी ही ईर्ष्या करता था--मैं चिन्तन कर सकता हूँ, सभी वस्तुआ बा सार ग्रहण कर सकता हूँ बडी-बडी समस्याओं का समाधान कर सकता हूँ-- मगर मानक्षिक सम्पत्ति से सिताशुमौलि को अपने समकक्ष समझने वी कल्पना करना असम्भव था| परतु फिर भी मैं इस मनुष्य से ईर्प्या करता हूँ | क्या, इस बात को अगर खुलकर कहूँ तो लोग हेंसेंगे । सुबह के समय सिताशु एक बडे स १ †एक बल्पित देवता, जिसके असर से बच्चा को भूगो रोग हो जाने की वा कही जाती है।




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