हिन्दी साहित्य | Hindi Sahitya

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Hindi Sahitya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हित्दों साहित्य यश न « हिन्दी की देशगत विशेषताएं भारत की शस्य-दयामला भूमि में जो निसरगंसिद्ध' सुपगा है; उससे भारतीय कथियो का चिरकल से झनुराग रहा है। यो तो प्रकृति बी साधारण बस्तुए भी मनुष्य-मान के लिए म्राकपेक होती है, परन्तु, उसकी सुन्दरतम विभूतियो मे मानव-वृत्तिया विशेष प्रकार से रमती है। भारतीय कवियों को प्रकृति की सुरम्य गोद में कीठा करने का सौभाग्य प्राप्त है, वे हरे-भरे उपवनों में तथा सुन्दर जलाशयो के तंटो पर विचरण करते एव प्रकृति के नाना मतोहारी रूपों से परिचित होते है। यही कारण है कि भारतीय कवि प्रकृति के सश्लिप्ट तथा सजीव चित्र जितनी मा्मिकता, उत्तमता तथा श्रघिकता से भ्रकित कर सकते हैं एव उपमा-उ्परेक्षामो के लिए जैसी सुन्दर वस्तुग्नो का उपयोग कर सकते हैं, वैसा रूये-सूखे देवों के निवासी कवि नहीं कर राकते । पह भारत भूमि को घिशेपषता है कि पहा के पचियों का प्रकुति-वर्णय तथा तत्सभव सौन्द्यज्ञाच उच्चकोठि का होता है। प्रकृति ये रम्य रूपो से तर्ली नता की जो श्रनुभूति होती है, उसका उपयोग चविंगण कभी-कभी रहस्यमयी भावनाशों वे संचार झ भी बरते हूँं। इसे हम प्रदूति-सम्वस्थी रहस्यवाद कह सकते हैं, श्रौर ब्यापव रहस्यपवाद का एक श्रण मान सकते हैँ । प्रति के विविघ रूपो मे पिविध भावनाओं के उद्दे की क्षमता होती है, परन्तु रहस्य- चादी बचियों को झधिकतर उसके मयुर स्वरूप से प्रयोजन होता है, क्योकि भावायेश के लिए प्रति के मनोट्र रूपों की जितनी उपयोगिता होती है, उतनी द्ुमरे रूपों की नहीं होती । यद्यपि इस हु स्वाभाविव 2 भस्पप्ट न




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