रीति स्वच्घंद काव्यधारा | Reeti Swachand Kavyadhaara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
505
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्र विषय-सूची
भक्ति-प्रेम कौ वैराग्य ओर भक्ति मे परिणति, निम्बा सप्रदायानुसारिणो
अक्ति, बज , द्रज-प्रसाद, ब्रज-स्वरूप, द्रज-विलास, धाम-चमत्कार, यमुना
यमूनायश, गोकुल गोकुल गौत, वुन्दावन वृन्दावन मुद्दा, गोवर्ध न. गिरि-
८ भजन, वरसाना, मुरली मूरलिको मोद, भक्तिः के विविध भाव पदावली
और कृपाकेद, दास्य भाव, सख्य भाव, मघुर अथवा काता भाव पदावलौ,
राधा के प्रति भक्ति-निवेदन भाव की भक्ति, वृषभानूपुर-सुषमा-वर्णन,
प्रिया-प्रसाद, मनोरथ-मजरो ( कि भक्ति, नोतिक्थन ओर उपदेश,
सासारिक अनुभवों से गर्भित नीत्योक्तियाँ। ठाबुर को भक्ति--सात्विकता,
भक्ति कोटि, मौदायं भौर हरिनिष्ठा, भक्ति-भाव का स्वरूप, मीति-क्यन,
जगत कौ दशा, मानवी प्रङृति का विश्लेषण, मन को प्रबोधन, मनृप्यता ओर
उपदेश 1 दिजदेव की भक्ति1
७, स्वच्छन्द कवियों के प्रबन्ध ग्रन्थ ३००
आलम इत माघधबानल-कामकन्दला--क्था, वम्तु-विवेचन, वर्णन, भवाद,
माभिक स्थल, रस और भाव, चरित्र-चित्रण और मनोविज्ञान, काव्य-कोटि,
कवि का प्रस्तुत प्रवध लिखने का उद्देश्य। बोघा हृत विरह-वारीश या
माधवानल-कामकन्दला--कथा, वस्तु-विवेचन, वर्णन, सवाद, मामिक स्थल,
रस व्यजना, काव्यकोटि । आलम ओऔर वोधा के माधवानल-कामकन्दला
प्रवध॒ तुलनात्मक अध्ययन--आकार और विभाजन क्रम, प्रेरणा और बाघार,
कथन भारभ करने को पद्धति, कथावस्तु मे अतर, निष्कं मौर मूल्याकन ।
आलम त श्याम-मनेहो--बम्तु-विवेचन, वणन, सवाद, मामि र्यत
चरि्र-विद्रण ओर मनोविश्लेयण, काव्यकोटि ओर स्वना का उदेश्य ।
4 दर्थं मध्याय : रोति-स्वच्छन्द काव्य का अध्ययन : कला-पक्ष ३५१
१. स्वच्छन्द धारके कवियो का कता-विपयकः दृष्टिकोण अ ३५३
रसखान को कला-विपयक दृष्टि, आलम को क्ला-विषयक दृष्टि, वनआनद
को कला-विषयक दृष्टि, बोधा की कला-विषयक दृष्टि, ठाकुर वी कला-विपयक
दृष्टि, द्विजदेव की कला विषयक दृष्टि।
२. भाषा का स्वरूप दे
रमन को भापा--अल्पि प्रयुक्त मौर नवप्रयु् शब्द, तद्भवे शब्द, अमा-
मासिक परदावली, क्रियापद, सिश्वित भाषा, लोच, शब्द-विद्वति, पद-विधान
या विशेष प्रयोग, कूट प्रयोग, मुहावरेदानी, सूक्ति-विधान, लोकोक्ति। जालम
की भाषा--देशज शब्द, विशेष शब्द, लोच, विशेष ब्रियापद, मुहावरे और
लोकोक्तियाँ, चित्मत्ता, नाद सोन्दर्य, द्वित्त वर्षों का प्रयोग, उक्ति-सौन्दर्य,
भाषागत दोष, भरतो के भ अक्षर, अशुद्ध प्रयोग या शव्द विद्कति, प्रवन्ध
ग्रयों मे झापा का स्वरूप । _उर्मआनद की भाषा--भाषा का स्वरूप, व्रजभापा
का ठेठ रूप, नये और अप्रचलित शब्द, शब्दस्थापना, शब्द-त्रोडा, प्रयोग-
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