सेवाधर्म और सेवामार्ग | Sevadharm Aur Sevamarg

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Sevadharm Aur Sevamarg by कृष्णदत्त पालीवाल - Krishnadatt Paliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सेवकों की शिक्षा २४ सेवा-संस्थाश्रों का वर्णन किया । मिस्टर वर्नार्ट बोसेन क्व ने मैटिक्मेण्ट में श्राऊर चार व्याय्यान्‌ दिय । पोच कान्कसे की गईं। दान और सेवा के इस कार्य को अ्रधिकवर ख्ियाँ दी करनी थीं । १८६३-६४ में शिकरायों ( अमेरिका ) में सैटिलमेस्टों की जो कास्फेंस हुई थी, इसके एक निबन्ध में कद्दा गया झि सैटिलमेण्ट साल में मीन मृरनवा अपने यहाँ अब-शासत्र, गरीबों के कानून, स्थानीय शासन, शिक्षा, सफाई, सट्ठठन, सद्ायता, मिलव्ययिता के मिद्धान्तों पर ब्याय्यान कराये जायेंगे पाट्य-क्रम नियत कर दिये जायेंगे श्रौर विद्यार्थयों से जिन विपयों का वे श्रध्ययन कर रदे हैं, इन पर लेख लिखाये जायेंगे। इस पुस्तकश्नान के साथ-साथ श्नुभवी काय-कर्ताशों की श्रथी- नना में उनसे व्यायद्वारिक काम मी कराया जायगा। सेद्धान्विक ओर व्याव्रद्ारिक दोनों श्रकार की शिक्षा का क्रम तैयार करते समय, समस्त कार्य-कर्ताशों को, लोगो के जीजने के भिन्न-मिन्न पहलुओं का श्रध्ययन करने श्रौर परोपकार तथा लोक सेया के कार्य के विविध परो कै देखने का मरपूर अवसर मिले इस बात का पृरा-पूरा ध्यान रक्सा ज्ञायगां। गरीयों को केबज्ञ उसी समय देखना, जब उन्हें सद्ायवा की श्रावश्यकता होती है, या उनके केबल एक ही वर्ग को देखना भ्रमोत्रादम £। पीड़ितों ঝা सेवा और सडायता के कार्य का पीद़ा को रोकने के वार्य से क्या सम्बन्ध है चथा व्यक्ति के कार्य को राष्ट्र के कार्य से दिस प्रकार सम्बन्धित फरना चादिये, इत्यादि वानं बनाना भी आयश्यकीय ६ 1 मन १८६३ में इस सैटिलमेण्ट ने ऐसी दो मद्दिलाशों को झात्रयत्तियों दीं, जो समाज-सेवा के यं की रिचा श्राप करना




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