हिंदी साहित्य का विकास | Hindi Sahitya Ka Vikas
 श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
24.83 MB
                  कुल पष्ठ :  
197
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दी साहित्य को विकात
पहित्य का प्रारंभः---
देश विशेष का साहित्य वहाँ की जनता की चित्त दत्ति एवं चिन्तन
' प्रविबिंब होता है | यह चित्तद्वति राजनैतिक, सामाजिक धार्मिक एवं
के परिस्थितियों पर निर्मर रहती है । जैसे ही ये परिस्थितियाँ परिवर्तित
से ही चित्तत्तितथा स्वाभाविक चिंत्ता में भो परिवतन होता है श्ौर
थसाथ साहित्य में भी परिवतन होता है, क्योंकि साहित्य जन-समूह
बुतति का .संचित रूप उपस्थित करता है | श्रतः हिन्दी साहित्य के
; समकने के लिए राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों का
त्निवाय है |
गे साहित्य का संबंध आदि काल से मध्य देश स्रे रहा है श्रौर इसके
पगघी, ( जिसमें सिद्ध साहित्य लिखा गया, जिसका इतिहास ७०० ई०
[ है. डिंगल या पश्चिमी राजस्थानी, मैथिली, द्वधी, ब्रजभाषा,
[निक खड़ी बोली श्रादि भाषाएँ त्ाती हैं । इन सभी बोलियों में हिन्दी
विखरा पड़ा है। हिंग्दी साहित्य की रूप रेखा का उपयुक्त विकास
० से प्रारम्म होता है । श्रवधी, श्रन श्र खड़ी बोली निविंवाद रूप
साहित्य के द्रन्तगंत श्राती हैं । उदू भाषा भो हिन्दुस्तानी की भाँति
पी हिन्दी के श्रन्तगंत श्राती है । इसका विकास दिल्ली-मेरठ-श्रागरे
श बोल से हुआ है।
री साहित्य का प्रारम्म कब हुभ्रा यह कहना कठिन है क्योंकि कि भाषा के
के लिए. कोई निश्चित समय की रेख। नहीं खींची जा सकती । कतिपय
हन्दी का प्रारम्भ संवत् «७० वि० से मानते हैं और प्रमाण में पुष्य
घवि का <दाहरण देते हैं जो राजा मान का समासद था | किन्दु
[ विद्वान हिन्दी साहित्य का इतिहास १८०० ई» से प्रारंभ करते हैं ।
मत विशेष न्यायसंगत भी है ।
हिन्दी साहित्य का काल-विभाजन
-झादिकाल-- (वीर गाया ट काल या चारण-काल)-१००० ० से
१३५० ई० तक | 3
 
					
 
					
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