नव्य -नैयायिक रघुनाथ शिरोमणि के पदार्थतत्वनिरुपण का समीक्षात्मक अध्ययन | A Critical Study Of The Padarthatattvanirupana By Navya Naiyayik Raghunath Shiromani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
उत्तम कुमार शुक्ल - Uttam Kumar Shukl
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हरिशंकर उपाध्याय - Harishankar Upadhyay
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2५४
निरन्तर उत्साहित किया। यह उनके असीम स्नेह, सुमधुर व्यवहार एव गुरुतम परामर्शं
का ही प्रतिफल है कि शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत कर सकने मे समर्थ हो सका हूँ। कार्य
सम्पादन के इस अवसर पर मात्र कृतज्ञता ज्ञाप की औपचारिकता से में उऋण
नहीं हो सकता।
इस विषय पर शोध-कार्य करने हेतु स्व० प्रो सगमलाल पाण्डेय
की उत्प्रेणा एवं मार्ग-दर्शन हमारे लिए सबल रहा है। इस अवसर पर उन्हे स्मरण
करते हुए विनग्नतापूर्वक श्रद्धा-सुमन अर्पित करना मैं अपना पुनीत कर्त्तव्य मानता
हू
विभागाध्यक्ष ड० मृदुलारविप्रकाश का परम आभारी हू, जिन्होने मेरे
अनुसधान-काठ मे अपेक्षित सहायता कर मेरे प्रति अपनी उदारता प्रदर्शित की
है। साथ ही डॉ० जगशंकर त्रिपाठी के प्रति भी कृतज्ञ हू, जिन्होने समय-समय
पर उचित मार्गदर्शन किया है।
डॉ० राजाराम शुक्ल (निदेशक, अनुसधान सस्थान, स० स॒०
विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने शोध-अवधि मे जो प्रोत्साहन तथा सम्प्रेरणा प्रदान
किया, निश्चय ही न्याय-वैशेषिक दर्शन के अधिकारी विद्वान द्वारा किये गये दिक्
निर्देशन के लिए मैं चिर ऋणी रहूँगा।
न्यायदर्शन के मनीषी प्रो० रघुनाथ गिरि, एवं सुधी विद्वान प्रो० वशिष्ठ
त्रिपाठी, डॉ० किशोर नाथ झा, डॉ० रामपूजन पाण्डेय, डॉ० वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी,
प० हरिमोहन मालवीय, डॉ० रजनीश शुक्ल, डॉ० शशिप्रभा कुमार, डॉ० हरीराम
मिश्र, डॉ० आनन्द मिश्र, डॉ० शारदा पाण्डेय जिन्होने अपना अमूल्य समय देकर
प्रत्यक्षवार्ता के द्वारा अतिशय सरलता के साथ अपने बहुमूल्य सुझावों से हमे
लाभान्वित किया है। मैं इन नदीष्ण विद्वानो के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता
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