मातृ - वन्दना | Matra Vandna

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Matra Vandna by भगवत प्रसाद - Bhagvat Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवत प्रसाद - Bhagvat Prasad

Add Infomation AboutBhagvat Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मातृ-वन्दना ११ (५) जय माँ, जय जय मात्भूमि । तू सब को मातु हमारी है॥ माँ की माँ हम सब की माता, बड़ी स्वर्ग सम जग यश गाता। कण-कण तेरा मुझे सुद्दाता, देख तुमे मैं अति सुख पाता ॥ जय माँ, जय जय मातृमूमि । तू सब की मातु हमारी है॥ (९) शरीर भव्य भारत है प्यारा, मुख चन्दा कौ छवि से न्यारा । पर्व॑त, इश्य, नदी, जल घारा, शोभा देख-देख मन हारा ॥ जय माँ, जय जय मातृ मूमि। तू सब छी मातु हमारी है॥ (१०) कन्याकुमारी पैर कदाता, घो समुद्र जिसको सुख पाता। हिमाचल सिर संटार लुभाता, क्रीट मुकुट शिमल्ञा मन भाता ॥ जय माँ, जय जय मातृभूमि। तू खब की मातु हमारी है॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now