अवध की बेगम | Avad Ki Bagam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पटला श्रद्ध १७
(হালা গা हे । )
शजाउदौला--मेवाव मीर कासिम कैः खाथ श्राजदेर टौ गई, इसलिए
नमर तुमसे मिल न सका । सुना है वेगम, इधर का सब इन्तजाम ?
बहू वेगस--नही ।
शुजाउद्दीला--मीर क्लासिम मुझसे फीज मॉग रहे ह। मीर जाफर
हराकर वे फिर अपनी सल्तनत पर कब्जा करना चाहते ह । में राजी
बक्सर जाकर हम ऐलाने-जद्ड करेंगे। वहाँ फौज शरीर रसद
परजने का पूरा इन्तजाम कर लिया गया है |
बहू वेगम--में एक नाचीज़ ओरत, इन सब बड़ी-बड़ी बातो के न तो
बनती हूँ, ओर न सममती हूँ। लेकिन इस स्वोफनाक काम में आपका
ये देना वाजिव दै या गैस्वाजिब, यह आपके समभने की वात है ।
शीर कासिम ने पनाह मोगी ची , पनाह ইলা श्रापका एज या | लेकिन
उनकी तरफ से किसी के खिलाफ ऐलान-जड्ड करना फ़र्ज ই या नहीं,
प्ीचकर देखिए । सुना हे, मीर जाफर के पीछे एक बहुत बड़ी ताकत
है। इस जद्ध का नतीजा क्यादागा;) कोद नहीं जानता। मुझे डर है
कि आप झसिर तक मीर कासिम का साथ न दे सकेंगे, जिसका नतीजा
द यह होगा कि उनकी ओर ज्यादा मुसीबर्तो का सामना करना होगा |
शुजाउद्दोला--तुम जो कहती हो, वह सच है। लेकिन में जुबान
हे चुका हैँ। में मजबूर हें। और इस लड़ाई में मेश फायदा भी
कम नहीं !
बहू वैगम--कैसे !
User Reviews
No Reviews | Add Yours...