हिंदी रहस्य | Hindi Rahasya

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Hindi Rahasya by Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-रहस्य (१७) के निबस्थ निरय निबन्घ--किसी व्यक्ति; वस्तु भ्रथवा घटना के बारे में श्रपने विचारों को लिखना निवन्ध कहलाता है । तीन चातें याद रखिए । (१) निबन्व की सूल वस्तु क्या है, (२) निबन्ध की दौली कंसी होनी चाहिए, (३) चिवन्ध में भाकपेंरा कंसे पंदा किया जाने 1 मुल वस्तु--जिस विषय पर निवन्ध लिखा जाय वही सूल वस्तु है । शैली--शैली प्रत्येक लेखक की भिन्न होती है । तब भी इन बातों का सबको ध्यान रखना चाहिए कि, (१) भाषा सरल हो; (९) कम से कम शब्दों में श्रघिक से अधिक भाव भरे जायें, (३) प्रवाह ठीक रहे भ्र्थादु एक विपय के वाद दूसरा विचार; इस प्रकार से आधे कि दोनों का सम्बन्ध न टूटने पाये । निवन्ध दो प्रकार के होते हैं :--- वस्तुओं को हम प्रत्यक्ष देखते हैं उन पर लिखा हुआ निवन्घ वर्ात्मिक निवन्ध कहलाता है । २-विचारार्सक--मनुष्य के हितकर विपयों के सम्बन्ध में लिखा हुआ निवंध विचा रात्मक निवंघ कहलाता है । निबंध के तीन भाग होते हैं । (९१) प्रस्ताचना--प्रभावशाली दब्दों के साथ सूल विषय को श्रारम्भ करना, प्रस्तावना कहलाता है । (९) मूल विषय---यह निवंध का प्राण है । इसे खुब दिल खोलकर लिखिये । अन्त--प्रस्तावना की भांति भौर प्रभावशाली शब्दों में निवन्ध का अंत करिये । निवन्घ लिखने से पहले उसके शीर्षक बना लीजिये । जेसे-हमें देश सेवा पर निवन्घ लिखना है तो नीचे लिखे शीप॑क वने:-- (१) देश सेवा क्या है, (२) अपने देश के प्रति प्रेम, (३) सच्ची देश सेवा श्रौर ऋूठी देवा सेवा, (४) स्वदेश प्रेमी देशों के उदाहरण, (४) भविष्य का चिंतन, (६) अंत । रेल पर निवध लिखने के लिये शीपंक-यह वने--(१) रेलगाड़ी क्या है; (२) कंसे श्रौर किसने बनाई, (३) स्टेशन का हृष्य, (४) चलती गाड़ी को हृदय, (५) लाभ तथा हानि (६) अंत 1




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