यदि गांधी शिक्षक होते | Yadi Gandhi Shikshak Hote
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अग्रसर होता दै, अध्ययन करता है । अध्यापन के समय तक्कालिक उद्यो
को भी दुष्टि से ओझल नही किया जा सक़्ठा। आगे चलकर ऐसी स्थिति
आयेगी कि जिससे शिक्षण व ज्ञान के संग्रह में मदद मिलेगी ।
गाँधीजी ने उपयोगिठावादी सिद्धान्त को बुनियादी शिक्षा से कभी
अलग नही किया बल्कि उस पर प्रभाव डाला गौर कहा, “इस योजना का
निर्माण कार्यकर्ताओं के निर्माण के लिए हुआ जो समो प्रकार से उपयोगी
कार्यों पर नजर रखेंगे जिसमे ससम्मान शारीरिक थ्रम भी संयुक्त होगा
क्योकि उसी कै आधार पर तो विद्यार्थी योग्य एवं अपने परावों पर सड़ा
होना सीखेंगे
(३) शिक्षण विधि :
आदश्वादियों का आंग्रह है कि वे कैसी एक अध्ययन विधि के अनु»
यायी नही है बल्कि दिधि के रदयिता है | वे चाहते हैं कि विद्यार्थी निर्णयों
एवं चुनावीं की विधि का विरोध करे जबकि बुद्रियादी शिक्षा अनुभवों पर
आग्रह करती है। आदशंवादियों में भाषणपद्धति छोकप्रिय है जो कि शिक्षण
সঙ্গি में शिक्षकों कौ पहुल एवं सजगता पर निर्भर है। इसके विपरीत
बुनियादी शिक्षा में भाषण प्रद्धति के लिए कोई स्थाव नहीं है। भोतिक एवं
जैविक विद्वानों मे कुछ सोमा तक प्रोजेक्ट विधि की महत्ता स्वीकार की
गई है, क्योंकि इन विद्वानों का अध्ययन समस्याओ के प्रस्तुतीकरण से आरम्भ
होता है तथा प्रयोगशाला में अनुसन्धान की पद्धति पर चलता है एवं बुनियादी
शिक्षा अनुभवजस्प ज्ञान पर जोर देती है जियमे सामाजिक दृष्टि से उपयोगी
एषं उत्पादक उद्योग केसद्रीय घुरी है तथा सयुकत एवं समन्वित सीखने की
स्थितियां उत्न्न की गई हैं। बुनियादी शिक्षा के अनुसार ज्ञात अनुभवों का
उप-उत्तादन है तथा उम् ज्ञात बा उपयोग उपयोगी कार्यो किया जाती दहै)
बुनियादी शिक्षा में 'ज्ञान-शान के लिए! श्विद्धान्त का कोई उपयोग नहीं है,
महत्व नहीं है। आदश्शवादी ठोक इसके विपरोत छग्ते हैं तथा कहते हूँ कि
परम्पर!ओं से चले आये रीति-रिदाजों के बनुसार अनुभव से सीखने का आशय
है 'शान का अनुभव में सयुक्तिकरण नदी हुआ है।॥ (755০0108৩15
06 1000909০5৫ 70 6%67)৩0০৩ ) ঘৰ अनुभव महंगा तथा खतरे से
मुक्त नदौ दै । वटकर महोदय भी इसी राव के पोषक हैं ।! हा महोदय भी
कहते हैं कि मब्यम स्थितियों में ज्ञान के पूर्व स्वथ ज्ञात की आवश्यकता ठीक
है पर गम्भीर आवश्यकताओं के समय प्राप्त ज्ञान का उपयोग हो उत्तम है 1*
1, ऋष्ठीला, 9. 1, : छ0प८5 ए01050909125 ए, 243-243.
2, घत्ाएड, प्रै.प्ठ, ; प्र] घ्र८छ 28600380० 9. 84,
बुनियादो शिक्षा : आदर्शवाद के सन्दमे मे १३
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