रचना मय | Rachna May
श्रेणी : भाषा / Language, हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रधम परिच्छेद ] মানার
जाय तो उनमें विचित्र समानता द्टिगोयर होती है। जब
स्थान पर निदोद न होने के कारण लोग अपने आदिम-रूथ
को छोड़कर जहाँ-तहाँ चले गये तथ डनकी भापाएं भी रू
জং অন্তত যা মিহি হা मे हे गय ओ ए
मित्त नामं से प्रचलित र्ः ! यह बात अबतक विषाद-परः
कि मनुप्यों का आउिम-स्थान कहाँ था और उनक्ती आदिस-म
कया थी। जो दो थदाँ तक तो अबतक निर्णय दो सका है
चादे मनुप्यों का आदिम-स्थान कहीं भी दो वे एक दी भण्पा
व्यवहार कदते थे ओर उसी मापा स संसार की सब भ
निकली & जे तोन मुष्य भार्गो म यारी जा सकती दह |
(१) आर्य-भाषाएं--जिस भाग मे आदिम-आयो फी ও
जामियाली भाषा से निकली हुई सापाएं ६ । अर्थात् थे
संस्कृत, संस्कृत, प्राकृत या भारतवर्ष में प्रचलित अन्य :
भाषाएं और अंगरेज़ी, फ़ारसी, प्रीक, लैटिन आदि भाषाएं ।
(२ ) शामी-माषादं--इस भाग में सैमेटिक या धांमी:
की बोली जानेवाली भाषाएं हैँ। अथाव् इ्धानी, अरबी,
इश्शो भाषाएं ।
(३ ) तूरनी-भाषाएं--इस भाग में मंगोल-जाति की ।
ज्ञानियाली भाषाएं हैं। अर्थोत्--सुगली, चीनी, जापानी,
आदि भाषाएं |
३--आय-भाषाएं
दद्र की उत्ति के; चियय में शान प्राप्त करने के लिप
उपयुक्त तोनों घेणी की भषपाओं में से आर्य-भाषाओं के वि
जानने की आइइयकता है, इसलिए केवल इसी धेणी कि लः
में यहाँ थोड़ा-बहुत प्रकाश डालने चय यल किया ज्ञाता है।
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