रचना मय | Rachna May

Rachna May by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रधम परिच्छेद ] মানার जाय तो उनमें विचित्र समानता द्टिगोयर होती है। जब स्थान पर निदोद न होने के कारण लोग अपने आदिम-रूथ को छोड़कर जहाँ-तहाँ चले गये तथ डनकी भापाएं भी रू জং অন্তত যা মিহি হা मे हे गय ओ ए मित्त नामं से प्रचलित र्‌ः ! यह बात अबतक विषाद-परः कि मनुप्यों का आउिम-स्थान कहाँ था और उनक्ती आदिस-म कया थी। जो दो थदाँ तक तो अबतक निर्णय दो सका है चादे मनुप्यों का आदिम-स्थान कहीं भी दो वे एक दी भण्पा व्यवहार कदते थे ओर उसी मापा स संसार की सब भ निकली & जे तोन मुष्य भार्गो म यारी जा सकती दह | (१) आर्य-भाषाएं--जिस भाग मे आदिम-आयो फी ও जामियाली भाषा से निकली हुई सापाएं ६ । अर्थात्‌ थे संस्कृत, संस्कृत, प्राकृत या भारतवर्ष में प्रचलित अन्य : भाषाएं और अंगरेज़ी, फ़ारसी, प्रीक, लैटिन आदि भाषाएं । (२ ) शामी-माषादं--इस भाग में सैमेटिक या धांमी: की बोली जानेवाली भाषाएं हैँ। अथाव्‌ इ्धानी, अरबी, इश्शो भाषाएं । (३ ) तूरनी-भाषाएं--इस भाग में मंगोल-जाति की । ज्ञानियाली भाषाएं हैं। अर्थोत्‌--सुगली, चीनी, जापानी, आदि भाषाएं | ३--आय-भाषाएं दद्र की उत्ति के; चियय में शान प्राप्त करने के लिप उपयुक्त तोनों घेणी की भषपाओं में से आर्य-भाषाओं के वि जानने की आइइयकता है, इसलिए केवल इसी धेणी कि लः में यहाँ थोड़ा-बहुत प्रकाश डालने चय यल किया ज्ञाता है।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now