तार्किकमोह प्रकाश | Taarkik Mohprakash

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Taarkik Mohprakash by चिंतामणि घोष - Chintamani Ghosh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डॉ नसेगणेयाय ॥ ५ + ताकिकमोहपकाराः ॥ ৮ ‡ नत्वा गुरुपदास्मोजं ब्रक्विद्यां वि- | साव्य च। ताकिकाणां (सहासेकः) संग्र- | हेण प्रकाश्यते ॥ १॥ इह खल ताकि- | काः प्रलयकाले विसक्ताः परमाणवे- * + निश्चेष्टा पराक्छशे वतन्ते मलयावसाने । सगौदौ द्वास्यां परमाणुभ्यां द्वयणुकं ८ | गुरुचरण कमल्को नमस्कार ओर ब्रह्मविया | | का चिन्तन करके ताकेकके महासोटक संक्षेप स प्रकाश कया जाता हइ ॥3 {1 नया्यक नमः¦ लाम कतं ह क बख्व कालस परसाणु अलग र्‌ ২ আহ क्रियासं हान हकर अक्मशरस বহতা 1 ह जब अलयकाल वात जाता ह तव खुष्टिके # ४ आादिमें दो प्रमाणुओं केसंयोग से व्यण॒ुक ओर '£ क ম হলঃ হাটি ই হই কবল न्तनेहरहै , {1 :+ रकी শী শিং €হলাবা হাজি হুল্ছি युच्च रं दलान्त म रे » কিক উপ ण णोर স্পা: ুল০--- न्द्र ङ कक ङ्स्फम रर रर সত কট




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