अज्ञात | Unknown

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Unknown by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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তরী ॥ बश हो लम्प जलानाही पड़ा, क्योंकि अब चारों ओर अन्धकार फैल गया था उपरान्त वह मुस्ताफिर को लेकर अस्तवल में गया जहाँ उसने अपने घोड़े को ल [নন में बीमार और इस योग्य न पाया कि वह पंथिक को लेकर आगे जा सके । ०--तुमने पानी देने मे जल्दी की ¡ गरमये हुये घोडे को तुमने ठंडा पानी जो प्लिा दिया तो बेचारा जानवर बीमार हो गया। अब में जहाँ लों अनमान करता हैँ मुझे रात यहीँ व्यतीत करनी पड़ी । यह कहकर वह घोड़े की गंरदन पर प्यार से हाथ फेरता हुवा कहने लगा, “अच्छा, कोई हमे नहीं समय तो मेराही है ना /? | इसके उपरान्त पाथेक ने अपने बेग से कुछ दवा निकाली ओर सराय के मालिक को दिखा के कदने लगा भाग्यनश यह दवा मेरे साय थी नहीं तो बडीही कानता पड़ती, अब शीघ्रही घोड़े को पिला दो आशा तो है ।के इसके पीने के कुछही घर्टों के उपरान्त वह अच्छा हो जायगा ओर देखो ध्यान रखना कि सूर्योदय के पहिलेही मेरे रवाना होने का सब सामान लेस रहना चाहिये | - यह कहकर पाथेक तो सराय की बैठक की ओर चला और सराय का मालिक घोड़े को दवा देने में तत्पर हुआ । कोठरी में पहुँचने पर उसे कुछ फल इत्यादि - खाने को मिले ओर फिर कुछ शराब भी परी! नव यह्‌ समाप्त हुमा तो उसने सराय के स्वामी से लिसंडाफ के कौम्ट मिनफ्रेड और बेरेन रोजेन्थेल के बारे में बातचीत करनी प्रारम्भ की । परन्तु पादड़ी के सामने होने के कारण सराय के मालिक ने किसी बात का उत्तर इसे न दिया, वरन्‌ उसने अपना कुती अपने मुंह पर खींच कर दिखाने के लिये উসনা,সা । रम्भ किया । परन्तु यथार्थ में पादरी के सामने रहने ने उस्पर एक मन्त्र का काम किया था। उसके मुंह पर मुहर सी लग गई थी, और सस्ते छूटने के निमित्त उसने यह बहाना निकाला-| इधर जव पथिक ने अपनी वार्तो का यों निरादर होते देखा तो खिफला कर उठां ओर सराय के मालिक से कहने लगा “मुभे मेरे सोने की कोठरी दिखला दो |” ` सराय के मालिक ने तुरन्त उसकी यह आज्ञा प्रतिपालन की और एक लम्प लेकर इसके आगे २ कई सीढ़ियों से चढ़ कर एक कोठरी में उसे ले आया। यह कोठरी अन्धकारमय, सैंकरी ओर .वहुत कुछ सजी हुई न थी, तो भी एक गाँव७की सराय के लिये वह अच्छी ही कही जा सकती थी। | ये शब्द मुसताफिर ने वड़ीही घबराहंट में कहे थे, मिसपर सराय के मालिक को श्‌




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