धम्म पद | Dhamm Pad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१।६ ] यमकवग्गो [३
४-अकोच्छि म॑ अवधि म॑ अजिनि मं श्रहासि मे ।
ये तं न उपनय्हन्ति वेरं तेपुपसम्मति ॥४॥
( अक्रोशीव् मां अवधीत् मां अजैषीत् मां अहार्पीत्
नोपनहान्ति. पैर तेषूपश्ञान्यति ॥8॥ )
अनुवाद--..सुमे गाली दियाः० (ऐसा ) जो ( सनसें ) नहीं रखते
उनका चैर शान्त टो जाता है ।
भावस्ती ( जेतवन ) काछी ( यविखनी )
५-न हि वेरेन वैरानि सम्मन्तीष इदाचनं ।
अवेरेन च सम्मन्ति एस ঘল্দী सनन्तनो ॥५॥
(न हि वैरेण चैराणि शाम्यन्तीद
अवैरेण च शाम्यन्ति, पप धमः सनातनः ॥ ५॥ )
श्रनुवाद-- या ( सासे ) वैरे वैर कभी धान्त भी होता, अवर
से दी शान्त होता दै, यही सनातन धमं (=नियम ) है ।
आवंस्ती ( जेतवन ) कोसम्बक भिम
६ई-परे च न विजानन्ति मयमेत्य यमामसे ।
ये च तत्य विजानन्ति নদী सम्मन्ति मेघगा ॥९१॥
(परे च न विजानन्ति वयमन्न यंस्यामः।
ये च तन्न विजानन्ति ततः शाम्यन्ति मेधगाः ॥ ६ ॥ }
श्रयुवाद्-भन्य ( अक्ष छोग ) नहीं जानते, कि इस इस ( संसार )
से जानेवाके हैं। जो इसे जानते हैं, फिर ( उनके )
सनके ( सभी विकार ) शान्त हो जाते है 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...