धम्म पद | Dhamm Pad

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Dhamm Pad by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१।६ ] यमकवग्गो [३ ४-अकोच्छि म॑ अवधि म॑ अजिनि मं श्रहासि मे । ये तं न उपनय्हन्ति वेरं तेपुपसम्मति ॥४॥ ( अक्रोशीव्‌ मां अवधीत्‌ मां अजैषीत्‌ मां अहार्पीत्‌ नोपनहान्ति. पैर तेषूपश्ञान्यति ॥8॥ ) अनुवाद--..सुमे गाली दियाः० (ऐसा ) जो ( सनसें ) नहीं रखते उनका चैर शान्त टो जाता है । भावस्ती ( जेतवन ) काछी ( यविखनी ) ५-न हि वेरेन वैरानि सम्मन्तीष इदाचनं । अवेरेन च सम्मन्ति एस ঘল্দী सनन्तनो ॥५॥ (न हि वैरेण चैराणि शाम्यन्तीद अवैरेण च शाम्यन्ति, पप धमः सनातनः ॥ ५॥ ) श्रनुवाद-- या ( सासे ) वैरे वैर कभी धान्त भी होता, अवर से दी शान्त होता दै, यही सनातन धमं (=नियम ) है । आवंस्ती ( जेतवन ) कोसम्बक भिम ६ई-परे च न विजानन्ति मयमेत्य यमामसे । ये च तत्य विजानन्ति নদী सम्मन्ति मेघगा ॥९१॥ (परे च न विजानन्ति वयमन्न यंस्यामः। ये च तन्न विजानन्ति ततः शाम्यन्ति मेधगाः ॥ ६ ॥ } श्रयुवाद्-भन्य ( अक्ष छोग ) नहीं जानते, कि इस इस ( संसार ) से जानेवाके हैं। जो इसे जानते हैं, फिर ( उनके ) सनके ( सभी विकार ) शान्त हो जाते है 1




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