महारानी पद्मावती | Maharani Padmawati

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Maharani Padmawati by राधाकृष्ण दास - Radha Krishn Daas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ও श्सु ० अल [० शसु० भत्ता «० खाहित्य सुधानिधि। শু. कि लाम सोचना जुरूर हैं आइन्ददह इलुर साल्िक है ॥ ( कुछ क्रोध से) फिर वेद्दो फुजूल बातें करते हो, इस से कौन सो बडो भारो बात জা सोचने को ङ, तुम्हो बतनाभो ॥ ণ (इथ जोड कर) गरोब परवर जरा मेरो बात पर गौर कोजिणे, अगर राणा और रानो ने आप को दरणख।स्त न कुबूंल को तो क्या कीजियेगा॥ ( क्रोधसे कुछ सुमकुराकर ) तुम गिरे वेवकूफ दो भला कभो यह्ट सुम्‌किन है कि वहद्द इसारा हुक्म न माने ॥ हुजूर फ़ज किया जाय कि अगर न माने तब क्या किया जायगा ॥ ( क्रोधते ) जो हाल तुम्हागो की जाती ई वदी । (नेण्थ्य को भौर देखकर ) कोई है-इधर आघध्ो ( नेपध्य से ) जो इक्ा हुजूर ॥ ( दो सैनिकों का प्रवेश )1 टोमोसे« क्या हका होता है? अतदा० (२२ सुसाहिब को भोर देखकर) इम वाम्बखत को रसु० सलार पकछ कर लेजाओ, इस व॒त्ता केदखागे से रकणो, कल सृचद्द तजवोज की जायगी, इसे 45 यह सुनादी करादो कि इस कस्व्त জা वेअदवो के कुछूर म बाल सुद इन्साफ़ कियाजायगा (सुस्ाहिव से ) जनावे सन्‌ यहददी आऋाखत,उसकी भी त्रो लायगो॥ ( शाथध जोडकर ) इर मेरा छुछभी वुच्चर नहीों है जरा मेरो बात नले ॥ चुपरहो चले जाओ, खबरदार चन करना ॥




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