समता दर्शन और व्यवहार | Samta Darsan Or Vyavahar

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Samta Darsan Or Vyavahar by नाना लालजी - Nana Lalji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुक्रम पुष्ठ ७: प्रमार्म-दश्चेन के समतापूण लक्ष्य तक ९७ यह कायरता केसे मिटे ? पर कहाँ-कहाँ कच्चे हैं और क्‍यों ? तीसरे के बाद यह चौथा सोपान समता इन्सान और भगवान्‌ को यह कमंण्यता का मार्ग है गुणों के स्थानों को पहिचारनें और आगे बढें जितनी विषमता कटे, उतने गुण बढ परम7त्म स्वरूप को दारोनिक भूमिका त्याग : जीवन विकास का मूल परम पद की ओर गति “अप्पा सो परमण्पा” समता का सर्वोच्च रूप साध्य निरन्तर सम्मुख रहे । समता: व्यवहार के थपेर्डों में ११२ कच ९, कक व्यवहार के प्रबल थपेडे स्वहित की आरभिक सज्ञा स्वहित के सही मोड कौ बाधाए समता का दुर्दान्त शत्नु-स्वाथ नियत्रण की दुघारी चाहिये सामाजिक नियन्नण की प्राथमिकता सामाजिक नियत्रण का साध्य हो ? आत्म-नियत्रण की दिशा मे आत्म नियत्रण का व्यवहारिक पहल व्यवहार में थपेडे आवश्यक हैं व्यवहार के थपेडों मे समता की कहानी




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