सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय, भाग -67 | Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-67
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
576
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पाठकोंकी सूचना
हिन्दीकी जो सामग्री हमें गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मिली हैं, उसे अविकल रूपमें
दिया गया है। किन्तु दूसरों द्वारा सम्पादित उनके भाषण अथवा लेख आदिमे
हिज्जोंकी स्पष्ट भूलोंको सुधारकर दिया गया है।
अंग्रेजी गौर गुजरातीसे अनुवाद करने मे अनुवादको मूके समीप रखने का पूरा
प्रयत्त किया गया है, किन्तु साथ ही भाषाकों सुपाठ्य बनाने का भी पूरा ध्यान
रखा गया है। छापेकी स्पष्ट भूले सुधारने के वाद अनुवाद किया गया है, और मूलमें
शब्दोंके सक्षिप्त रूप यथासम्भव पूरे करके दिये गये है। नामोंकी सामान्य उच्चारणके
अनुसार ही लिखने की नीतिका पालन किया गया है। जिन नामोके उच्चारणोंमें
संदाय था, उनको दैसा ही लिखा गया है जैसा गांधीजी ने अपने गुजराती लेखोंमें
लिखा है।
मूल सामग्रीके बीच चौकोर कोष्ठकोंमें दी गई सामग्री सम्पादकीय है।
ग्रांधीजी ने किसी लेख, भाषण आदिका जो अंश मूल रूपमें उद्धत किया है, वह
हाशिया छोड़कर गहरी स्थाहीमें छापा ग्रया है, छेकिन यदि कोई ऐसा अंश उन्होंने
अनूदित करके दिया हैं तो उसका हिन्दी अनुवाद हाशिया छोड़कर साधारण टाइपमें
छापा गया है। भाषणकी परोक्ष रिपोर्ट तथा वे शब्द जो गांधीजी के कहे हुए नहीं
हैं, विना हाशिया छोड़े गहरी स्याहीमें छापे गये है। भाषण और मेंठकी रिपोर्टोके
उन अंशोमें, जो गांधीजी के नही हैँ, कुछ परिवर्तन किया गया है और कहीं-कहीं
कुछ छोड़ भी दिया गया है।
इस ग्रंथमालामें भ्रकाशित प्रथम खण्ड का जहाँ-जहाँ उल्लेख किया गया है, वह
जूच १९७० का संस्करण है।
साधन-यसूत्रोमें 'एस० एन० ” संकेत सावरमती संग्रहालय, अहमदाबादमें उपलब्ध
सामग्रीका; 'जी० एन० ” गांधी स्मारक निधि और संग्रहालय, नई दिल्ली में उपलब्ध
कागज-पत्रोका; ˆ एम० एम० यू०” मोबाइल माइक्रोफिल्म यूनिटका; 'एस० जी० !
सेवाग्राममें सुरक्षित सामग्रीका और सी० डब्ल्यू०” सम्पूर्ण गांधी वाइमय (कलेक्टेड
নন আঁক महात्मा गांधी) द्वारा संगृहीतं पोका सूचक है।
सामग्रीकी पृष्ठभूमिका परिचय देने के लिए मूलसे सम्बद्ध कुछ परिशिष्ट
भी दिये गये है। अन्तमें साथन-सृत्रोंक़ी सूची और इस खण्डसे सम्बन्धित कालकी
तारीखवार घटनाएँ दी गई हूँ।
प्रस्तुत खण्डसे 'शीपष॑क-सांकेतिका में नामोंके क्रममें परिवर्तत किया जा रहा
है। अवतक नाम आद्याक्षरोके रमसे दिये जाते रहे है, किन्तु आयामी खण्डींमें जिन
शीर्षकोंमें नामके साथ अल्छ (कुछनाम) दिया गया है, उन्हें ज्यों-का-त्यों न देकर
अल्ठको जाधार मानकर अकारादि क्रमसे दिया जायेगा ।
प्रह
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