पतितों की शुद्धि सनातन है | Patiton Ki Shuddhi Sanatan Hai

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Patiton Ki Shuddhi Sanatan Hai by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) में अपने धर्म प्रचार के लिये और इलको सर्चप्रिय फरने के लिये असंख्य साधन चरत रहे हैं हजरत ईसा ने अपने शिष्यो से कदा क्कि सब जगेत्‌ में फैल जाओ और जिस तरह औंने उपदेश दिया है उसी तरह इसेकों फैछादो। अपने नवी के इस उपदेश पर आचरण करते हुए ईसाई धेचारक और पादरी सारे आार्थात्र्त में फैठे हुए हैं यहां तक फि पहाड़ों की कन्द्राओं में और पर्चतों को चोटियों पर ये रूधान २ परं मिलते हैं। इसमें सन्देद नहों कि उनमें धर्म भयं बहुत अधिकं द ओर दश्च वारुते अपने ध्र्म्म का प्रचार करने के वारूते वे नाना परक्रार के दुःख सेदन कस्ते ह. रसो भर से और नगरों से अछूग रदते हैं पंक्र २ प्रचारक अपने आपको दुनियां से काट कर ऐसा अपने काम में तन्‍्मय हो ज्ञांतों है कि वद सैकड़ों और हजारों को ईसाई किये बिना दूंम नहीं लेतें। चह प्रेम से कांडवच से और सेवा से सथ भाँति रोगों के मंच्रों को अरनो ओर आंकर्पित करता ই और इज तीनों उंपायीं से अपने धर्म का मद॒त्य छोगों के दिं चर बैठातों है | संतार में गदरो फ़िछालफो के जानने वाति कऋम होते हैं छीगे तो बाहर का प्रभाव देखते हैं। ईसाई अपनी पधाठशांडाओं, अंवने লীনা अपने अरवाथालियों और अपने गंरोयखानों के द्वारों अपने धर्म्म का महत्व बच्चों और झुवावस्या के छोगों के दिलों पर चैठाते हैं | प्रथम तो वे उनका विश्वास अपने घर्म्म पर से दृदाऋर निर्बक कर देते हैं और _ फिर अपने प्रेममथ प्रभाव से शनेः २ उनकी अंपनों ओर खेंच हेते है । कितने ही युध ईसाई सियो तथां र्सर्‌ रुडकिथं , की सम्यता और वनाथ चुना फो देखकर लड्डू दी जाते दैँ। চা




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