शुद्धि विवेचन | Shuddhi Vivechan
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
594 KB
कुल पष्ठ :
34
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुद्धिविदेखन । - (१७ )
गोवधोऽयाज्यसेयाज्यः पारदायासविक्रयः।
गुरुमातपितृत्यागः खाष्यायागन्योःखतस्य चा
गोका चष अयोग्यक्ो यज्ञ कराना पर सीमन
करना ओर आत्माका बेचना आत्मविरुद्ध धन लेना
गुरु माता पिता -अम्तिहोत्र स्यागना यह पातक हीं
है वेदों को त्यागना ओर वेदकी निन्दा करना अ-
भक्ष्य वस्तुको खाना मोषध करना अम्निहोत न करना
भगि नी. इत्यादि. रिस्तेवालीसे विवाह करना इत्यादि
रक्षण म्लेच्छ मे परस्परसिदी पायेजतिदं । स्वच्छा से
सोदथ करने -को व्यवस्था नहीं दनतीह् ।बे
पतितदी कियेजाते द । নর
कौन भ्रायथित्त योग्य हे सो भी तो विचारना था
शुद्धिक नेता भाश्यो ! आपत्ति धम ओद आके एक
बारी एसरमान शसा तेथा अन्त्यन ` लोगों एर शुद्धि
का हाथ मारने छगे न जाने इन्हें शुद्ध करके कोनसी
सभ्यता प्राप्त 'होतीहे । यदि आपका चित्त भारत सुधार
पर কমা रै तो अनुचित नदी उदित उघोग करो
मिंससे' মাং चारों वर्ण -आपको - धन्पं ९ री कर +
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