जैव तकनीक | Jaiv Taknik (Bio Technology)
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.88 MB
कुल पष्ठ :
75
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही बायोटैक्नोलॉजी प्रकार यदि माता-पिता के बाल घंघराले हैं तो सामान्यतः उनके बच्चों के बाल भी घंंघराले होते हैं। यही नहीं प्रकृति का यह नियम पेड़-पौधों तथा अन्य जीवों पर भी लाग होता है। जैसे आम की गठली से आम का ही पौधा उत्पन्न होता है न कि सेव का। इसी प्रकार बन्दर एक बन्दर को ही जन्म देता है। वास्तव में प्रकृति के इस रोचक तथ्य को सर्वप्रथम आस्ट्रिया निवासी ग्रेगर मेंडल नामक पादरी ने सन 1856 में पहचाना था। उन्होंने अपनी तीक्ष्ण बद्धि तथा विलक्षण प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि प्रकृति का यह नियम बड़ा ही सुनिश्चित है। इन प्रयोगों के बारे में हम अगले अध्याय में पढ़ेंगे। जहां एक ओर वैज्ञानिक प्रकृति के इन रहस्यों की तह में जाने का प्रयत्न करता रहा वहीं यह विचार भी उसके मानस को उद्देलित करता रहा कि क्या वास्तव में जलपरी या जिन्न को उत्पन्न किया जा सकता है? यहीं से जैव तकनीक की कहानी प्रारंभ होती है। जैव तकनीक का शाब्दिक अर्थ है- जैविक-प्रक्रियाओं का उपयोग उन पदार्थों के उत्पादन के लिए करना जिनको औषधियों के रूप में तथा उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार चलें तो जैव-तकनीक का उपयोग अत्यधिक प्राचीनकाल से होता रहा है। जैसे गन्ने के रस के किण्वन से सिरके को बनाना तथा दूध को जमा कर दही प्राप्त करना। इसी प्रकार कृषि के क्षेत्र में भी दो विभिन्न किस्मों के पौधों के संकरण से बीजों की नई-नई किसमें तैयार करना आदि। लेकिन पिछले तीन दशकों में वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम द्वारा मनुष्य को उस कगार पर पहुंचा दिया है कि वह इस सदी में नहीं तो अगली सदी में सचमच की जलपरियाँ उत्पन्न कर सकता है। यह दसरी बात है कि अनेक सामाजिक व नैतिक बंधनों के कारण शायद
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