महाभारत | Mahabharat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कु आदि पव | के द्वारा पचित्र चन्द्रवंश के महापुरुषों का हाल जानता है। इसीमें चन्द्रवंशों कोरव-पाएडवों के भीषण युद्ध का वर्णन है। करते हुये देखा-जिससे उसका वीयपात हो गया । अद्रिका उपरिचर क জীব से गर्भवती हो गई । एक दिन यमुना के जलप्रवाह में विचरण करती हुई अचानक वह मछुओं के जाल में फँस गई । जब छोगों ने उसे चीरा तब उसके उदर से एक सन्दर बालक और एक वालिका निकली । , य वात धर २ विजली के समान फैल गई, सभी आइचर्य्य चकित हो उठे और इस विचित्र व्यापार को देखने के लिये दौड़ पढ़े । कुछ हां देर बाद यह बात महीप उपरिचर के कानों में भी जा पहुँची उसने उस बालक को मँगा कर स्वयं पाला-पोसा । बड़े होने पर वही बालक अतापी सहीप सत्स्य के नाम से विख्यात हुआ । कन्या का पालन पोषण घोवरराज ने किया । उसका नाम मत्स्य- गंधा था। उसके शरीर से मछली की गंध निकला करती थी । धीवर लोग उसे थोजनगंधा कह कर भी पुकारते थे। बहुत दिलों के बाद जब मत्स्यगंधा कुछ वड़ी हुईं तब यथ्ुना में नाव पर यात्रियों को चढ़ा कर पार उतारने छगी । देवात एक दिन आत्तःकाल'पार जनि के लिये महर्षि पराशर आ पहुँचे । इन्हीं पराशर और मत्स्यगंधा के संयोग से वेदन्यास का जन्म हुआ । पराशर के संयोग से मत्स्यगंधा के शरीर से पद्मपुष्प की सुगंध निकलने ठगी । मछली की गन्ध दूर. हो गई । मत्स्यग॑धा ही अगि चलकर परम रूपवती सत्यवती इद-- .




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