महाभारत | Mahabharat
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
676
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कु आदि पव |
के द्वारा पचित्र चन्द्रवंश के महापुरुषों का हाल जानता है।
इसीमें चन्द्रवंशों कोरव-पाएडवों के भीषण युद्ध का वर्णन है।
करते हुये देखा-जिससे उसका वीयपात हो गया । अद्रिका उपरिचर क
জীব से गर्भवती हो गई ।
एक दिन यमुना के जलप्रवाह में विचरण करती हुई अचानक वह
मछुओं के जाल में फँस गई । जब छोगों ने उसे चीरा तब उसके उदर
से एक सन्दर बालक और एक वालिका निकली ।
, य वात धर २ विजली के समान फैल गई, सभी आइचर्य्य चकित
हो उठे और इस विचित्र व्यापार को देखने के लिये दौड़ पढ़े । कुछ हां
देर बाद यह बात महीप उपरिचर के कानों में भी जा पहुँची उसने
उस बालक को मँगा कर स्वयं पाला-पोसा । बड़े होने पर वही बालक
अतापी सहीप सत्स्य के नाम से विख्यात हुआ ।
कन्या का पालन पोषण घोवरराज ने किया । उसका नाम मत्स्य-
गंधा था। उसके शरीर से मछली की गंध निकला करती थी । धीवर
लोग उसे थोजनगंधा कह कर भी पुकारते थे। बहुत दिलों के बाद
जब मत्स्यगंधा कुछ वड़ी हुईं तब यथ्ुना में नाव पर यात्रियों को
चढ़ा कर पार उतारने छगी । देवात एक दिन आत्तःकाल'पार जनि के
लिये महर्षि पराशर आ पहुँचे । इन्हीं पराशर और मत्स्यगंधा के संयोग
से वेदन्यास का जन्म हुआ । पराशर के संयोग से मत्स्यगंधा के शरीर
से पद्मपुष्प की सुगंध निकलने ठगी । मछली की गन्ध दूर. हो गई ।
मत्स्यग॑धा ही अगि चलकर परम रूपवती सत्यवती इद-- .
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