वेदांत कुँजी | Vedant Kunji
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भानुप्रताप शुक्ल - Bhanupratap Shukl
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
अवगुर्णों दोषों को देखने सुनने एवं कहने से जो दुष्परि-
णाम होता है, उसका अच्छी प्रकार से ग्रतिपादन किया
गया है।
দি पाठक मुमुच्त बन्द ! विदित हो कि इस
वेदान्त-कुज्जी! के प्रकाशन का भार श्रीस्वामीणी के
अनन्य भक्त, उदार-चेता, महानुभाव, श्रीमान् बाबु
हरीराम जी अग्रवाल, रईस तास्लुकेदार मबैया इलाहाबाद,
अपने ऊपर लेकर पुण्य तथा कीर्ति के भाजन बने हैं|
आप घड़े ही धम्मेपरायण तथों साधुसेवी एब' प्रजा-
पालक पुरुष हैं। ईश्वर आपके जगत्.फल्याण की भावना
की द्धि करे ।
प्रनानां विनयाषोनाद्रक्षणाद् भरणादपि ।
त्वं पिता पितरस्तासां केवलं अन्म-हेतवः ॥ ,
प्रजाओं के विनयाधान ( शिक्षाप्रदान ), रक्षण
तथा भरण-पोषण से आप ही पिता हैं। आपकी ग्रजा
जिनको पिता समझती है, थे तो केवल जन्म के ही
कारण हैं |
साधु-सन्त भक्ते हवै प्रजा अलुरक्ति होवे,
रमारानी सहित रमेश रमते হই।
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