तिर रही वन की गंध | Tir Rahi Van Ki Gandh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : तिर रही वन की गंध  - Tir Rahi Van Ki Gandh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुकुन्द लाठ - Mukund Lath

Add Infomation AboutMukund Lath

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
तिग रही वन की गध कस गई गफ गध का गजरा उठा लो ठढ मे, आओ यहा कितनी, न जाने, लताओ की छन रही झीनी महक रस-बोझ गहराई गठी, कस गई गफ बाँधे हवा के बध




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now