हिन्दी - उपन्यासकार | Hindi Upanayaskar

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Hindi Upanayaskar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोपालराम जी गहमरी ] [११ वनाने के लिए एक जासूस रेल, तार, फ़ोन, मोटर, हवाई जहाज इत्यादि का.दी आश्रय लेकर सफल हो सकता है, जादू की वाँसरी बजाकर अथवा सुख में सवेसिद्धिफल दबा कर नहीं। 'ओपिन सीसेम” कहने मात्र से उसके सम्मुख वडे-वडे ` सजाता फे द्वार नहीं खुल सकते | ससेनाः शब्द्‌ सात्र उच्चांरण करने-से उसके * सम्मुख उसकी सहायता के लिये सेना? - नहीं आ ' सकती । इस प्रकार हमने देखा कि जासूंसी उपन्यास एक विशेष प्रगति फे मागे पर अग्रसर होकर मानव के अधिक निकट आ गये और इसीलिये उनका सम्मान भी पाठेकों ने विशेष साहस के साथ किया। देवकीनन्दन खन्नी और गोपालराम जी गहंमरी के उपन्यासो की तुलना करने में भी हमें उक्त विचारावली को पूर्ण रूप से, ध्यान से रखना चाहिये। ৰ थ्री गहमरी”जी ने अपने उपन्यासों में अधिक पात्रों का जमाव न रखकर छु चुने हुए पात्रों को ही लिया है। आधुनिके ` समाज का भी चिच्र उनके उपन्यासो मे मिलता गहमरी जी के ' है और चरिज्र-चित्रण को भी एक दस युलां कर उपन्यासों की. आप अपने सांहित्य से नहीं चले हैं | यह चरित्र- विशेषता' चित्र॑ण वास्तव में चरित्र-चित्रणु के लिये नहीं ` _ होता, यह तो होता है घटनाओं को बल देने के लिये और घटनाओं के महत्व की कम न होने देने के लिये। लेखक का विशेषं वल घटना प॑र ही रहता दै । गोपालशम जी “गहमरी? के प्रायः समी पात्र निर्भकि, साहसी, चतुर रौर कुटिल दते है । चोर डाकुओं को तो चतुर रखना ही होता ऐ ओर जासूसों को उनसे भी अधिक चतुर बनाये विना लेखक का कास नहं चल सकता । लेखक ने मानव के वल, चातुरी और ' बुद्धिमत्ता को पूर्ण रूप से निभाया हे; मानव से दानवी अथवा देवी शक्तियों की भांकी देखने का प्रयत्न नहीं किया | देवकीनन्दन जी खन्नी के ক




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