संयुक्त सूर्योदय जैन तिमिर नासक | Samyukta Suryodaya Jain Timir Nasak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Samyukta Suryodaya Jain Timir Nasak by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१६ चिन्त्य; असंख्य; आयं अर्थात्‌ सव से प्रथः म जहांतक बुद्धि पहुंचावें तुम्हें पहिले -ढी ' पावें अर्थात्‌ अनादि; ब्रह्मा ईश्वर अथातः क्वान आदि ऐश्वर्यय का धारक, सब से श्रेष्ठ अर्थात्‌ सब से जच्च पदवाला; अनन्तम्‌ जि- 'सका अन्त नहीं; अनंगकेतु-कामदेव-विका- रबुछ्धिके प्रकाश रुपी सूर्य्य को ढकने घाला केतु सुप जीस्का ज्ञान है; योगीश्वरम्‌; विदित हुआ हे योग स्वरुप जीनकु; अनेकमेकम - थात्‌ परमेश्वर एक जी है, और अनेक जी हे; जाववं एक, उठ्यल अनेक; अर्थात्‌ श्वर पदमे देत जाव नहीं, ईश्वर पद्‌ एक दी रूप दे. एत्यादि नामो से तथा ज्ञान, स्वरूप र निर्मल रूप कीततेन करते ই. प्रारियाः-यद्‌ तो मानतुङ्नी ने ऋ षन देव अवतार वी स्तुति की दै, सि€ ख- আনু ছুস্বহ क तो नदीं! जेनीः-ऋषनदेवजी क्या अनादि अ-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now