मारवाड़ का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन | Marwad Ka samajik Evam Arthik Jivan

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Marwad Ka samajik Evam Arthik Jivan by डॉ. प्रेम एंग्रिस - Dr. Prem Angris

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चदि 13 (ता. 22 अगस्त) का पत्र पहुंचने पर महाराखा ने श्रानन्दसिह्‌ तथा रायसिंह का उसके पास आने पर ईडर का कुछ इलाका उन्हें दिया ।* महाराजा का मेड़ता से दिल्‍ली जाना गृहयुद्ध के समय दी गई सेवाओं के चदले बख्तरसिह को नागौर का पर- गता और राजाधिराज की पदवी प्रदान की गई |? (अक्टूबर 1725) और उसको बहुत-सी बहुमूल्य वस्तुएं, सामान व कर्मचारी दिये ।2 उसी वर्ष माघ मास में राज्य का प्रबन्ध बख्तससिंह के हाथ में सौंपकर महाराजा ने मेड़ता से दिल्ली की श्रोर प्रस्थान किया । परवतसर होते हृए महाराजा सामन्तो सहित दिल्ली पहुचा 1“ ब्दशाह्‌ ने उसका बहुत आदर सत्कार किया | अभयर्सिह और गुजरात ५ गुजरात के हाकिम मुबारिजुल्मुल्क सर बुलन्द खां का प्रवन्ध ठीक न होने और शाही अाज्ञा की उपेक्षा करने के कारणों से हि. स. 1143 (वि. सं. 1788, ई. स. 1732)? में उसका दसन करने के लिये बादशाह ने अपने दरबार में पान का जीड़ा घमाया। किसी की भी हिम्मत पान का बीड़ा उठाने की नहीं हुई परन्तु महाराजः श्रभ्यसिह ने पन का बीड़ा उठाकर विद्रोही सरबुलन्द खा को चादशाह्‌ के चर्ों में ञ्ुकाने की प्रतिज्ञा की । यादशाह ने महायसजा को बहुत से बहुमुल्य उपहार, श्रस््र-शस्व तथा 31 लाख रुपया देकर विदा किया 1? 'ताज कुलह सिरपेच जरी तोरा जर कन्वर खंजर जमदढ खड्ग पमग प्िरपाच पराफर तई लोक तावीन तोपखाना गजवाना सभे सह बगस्ीस लाख इकतीस खजाना 1 वीर विनोद, भाग 2, पृ. 969-72 2 अभयोदय, सगे 7, शलोक 4-33, वंश भास्कर से यह पता चलता है कि अभयर्सिह ने अपने पिता अजीतर्सिह को मारने के एवज में श्रपने भाई वख्तर्सिह को आधा राज्य और नागौर देने का वादा किया था। चतुर्थ भाग, पृ. 3983, छ. सं. 1-5 सूरज प्रकाश, भाग 2, पृ. 224-225 3 इन वस्तुओं की सूची देखें--अभयसिह की ख्यात्त, पृ. 36-42 श्रभयोदय, सगं 7 „श्लोक 41-42 ` मा 5 जोधपुर राज्य की ख्यात में वि. सं. 1786 दिया है, देखिये--जि. 2 पृ. 132; शोभा ने 1788 वि. सं. लिखा है। ह 6 सूरज प्रकाश, भाग 2, पृ. 235-248, अभयसिंह की ख्यात, प्र. 43 मारवाड़ राज्य का भा; न




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