भूगोल हस्तमाला [भाग १] | Bhugol Hastmala [Part 1]

Bhugol Hastmala [Part 1] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भगोल हस्तामलक ४ वसेहां समद्र में हाप और जहाजां का सहजय पता लगजान के লা” स्व उसके पांच हिस्से करके'पांच नाम रखदिये हैं । पहले हिस्से को जो अमेरिका के महाद्वीपसे फर्रगिस्तान ओर अफरीका के मुल्क तक फैला हुआ रै, अटलांटिक समुद्र कहते हें | दूसरे हिरसे को जो अगर रिका महाद्वीप ओर एशियाके मुल्क के वीचर्म है, पासिफिंक समुद्र बोलते है । तीसरा दिस्सा जिसकी हद अफरीक्रा फे मुल्क से लेकर हिन्दुस्तान और आस्ट्रेलियों के टापू तक है उसका नाम हिन्द'का समुद्र रदखा गया है, ओर चौथे ओर पांचवें हिस्सो फो जो उत्तर ओर दक्षिण घ्रवके गिद है, उत्तर समुद्र और दक्षिण समुद्रः पुकारते हैं। इन पिछले दो समुद्रोंका जल शीतकी अधिकाई से जमकर सदा यख अथीत्‌ पाला वना रहता दै, जो ध्रुव फे समीप है वह तोः कमी नरी गलता, ओर्‌ वाश्री गर्मियो के मौसिम मे जहां कदी गलता रै तो यखके टुकड़े पहाडोंकी तरह बहां जलमें तिरने लगते हैं। जहाजों को इन समुद्र में वढ़ा ढर है, जो कभी यखके दुकडोके बीच मे फस जावें, तो फिर उस जगह से उसका निकलना वहुत कठिन है। हेल मछली जो समुद्र के सव्‌ जीवोसे बडी, प्रायःसाठ द्वाथ लम्बी होवी हे बहुधा इन्ही में रहती है । इन पांचो समुद्र के जो छोटे टुकड़े दूर तक थल के भीतर आगये हैं, वे खाड़ी कहलाते है। ओर खाडियो के नाम अकवर उन शहर अथवा मुल्को के माम पर दोले जाते हैं, जो उनके समीप अथवा किनारे पर होते है । बन्दर वह्‌ स्थान है, जहा जहाज समुद्रकी कोल मे आकर लंगर डालते । इस भरगोल का प्क तिहाई जो जल से वाहर थल अर्थाद्‌ सूखा है, कुछ एकही ठोर नहीं, वरन कई जगह टुकडा टुकड़ा समुद्रके बीच बीच में प्रगटहो रहाहै नैते न ८ = भ्न = म [द জল




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