नायर सान | Nayar Saan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
401
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ए. एम. नायर - A. M. Nayar
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निशा कुकरेजा - Nisha Kukareja
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्रस्तावना
आधुनिक युग के इतिहास म बीसवी सदी का पूर्वाध सर्वाधिक महत्वपूण सैनिक तथा
राजनीतिक घटनताओ का साक्षी रहा है। एक पीढी से भी कम समय म दो विश्व
युद्ध हुए। दूसर विश्व युद्ध मे अमरीका ने जापान वे विरुद्ध अणु बम का
उपयोग क्या जो 1945 तक की विज्ञान की सर्वाधिक घातक इजाद थी। दो
बडी राजनीतिक ्रातियां हृदं । परमाणु शस्त्रास्त्र की हौड म लगी दो बडी संनिक
शक्तियों के उभरने से न सिफ उन दोना के अपने विनाश का बल्कि समूचे विश्व
के विनाश का खतरा उत्पन हो गया ।
इसी अवधि में जापान सर्वाधिक शवितशाली एशियाई दश के रूप मे उभरा 1
कुठ हद तकं उपनिवेशवादी पश्चिमी देशों के रास्ते पर चलते हुए जापान भी
विस्तारवाद की ओर बढा। सन 1941 म॑ अपनी सीमाआं को लाधकर जापान
ने जमरीवा तथा ब्रिटेन दौ सयुक्त शक्ति को चुनौती दी, च्याग काई शेव पे चीन
के साथ पहले से ही उसकी लडाई चल रही थौ ! आरभ मे कुछ शानदार विजय
के बाद जापान को पहली वार मात खानी पडी भौर एकं विदेशी शक्ति ने उसकी
जमीन पर कनका कर लिया। लेकिन एक दशकं सभी केम समयमे जापान फिर
अविश्वसनीय ठग से उभरकर ऊपर उठा, ससार मे ऐसा कोई और उदाहरण नही
है जबकि कोई दश इतनी जल्दी और इतने कम समय म दुबारा उभरकर ऊपर उठा
हो | दस वपष से भी कम अवधि में वह न सिफ एशिया का एक महान देश बल्कि
विश्व कौ एक महान आधिक शर्वित भी बन गया।
जापान का उत्थान ओर पतन लगभग उसी समय मं हुआ जवकरि इतिहास
क सर्वाधिक शक्ितिराली नौर सबस बडा भौपनिवेशिक साम्राज्य यानी त्रिदिश
राज का पतन शुरू हभ । दो सदयो तक ब्रिटिश सत्ता की युलामी के वाद अतत
अगस्त 1947 मे भारत दासता की वेडियो से मुक्त हुमा । सन 1931 मे विष्ट
चचिल की यह भविष्यवाणी प्राय सच सिद्ध हुई कि भारत को खोकर ब्रिटेन एक
छोटी शक्ति रह जायगा । भारत की स्वतत्रता के बाद एशिया तथा अफ्रीका के आय
उपनिवेश भी एक-एक करके स्वतत्र होते गये 1
मरा जम इस शताब्दी + पहले दशक म हुआ था 1 अपनी पीढी के अयय लागा
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