दीप जलेगा | Diip Jalegaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बुशते दीप से जलते दीप तक
दीप? में यों तो पन्द्रह कविताएँ हैं, पर यदि आधार-भूत-मंड को लिया
जाय तो यह सारे का सारा संग्रह एक लम्बी कविता दिखायी देगा ।
लिखने के कम में विदा? चाहे दूसरी कविता है, पर किसी पत्र-पत्रिका
में छपने के क्रम में पहली है । अश्क जी की वह पहली हिन्दी कविता है
जो किसी प्रमुख हिन्दी पत्र में छपी और वयोंकि उसमें भावनाओं के व्यक्ति-
करण में एक खरापन (४०८४४०० ०८६५४) था, इसीलिए बहुत लोकप्रिय हुई।
हुआ यों कि वह कविता लिखकर अश्क जी ने योंही पंडित बनारस
दास जी चतुर्वेदी को भेज दी । ( उनसे लाहौर में परिचय हो गया था और
पत्र-व्यवहार तो पहले से था | ) चतुर्वेदी जी को यद्यपि अश्क जी की एक
भी कद्दानी पसंद न आयी थी, पर वह कविता उन्हें इतनी अच्छी लगी कि
उन्होंने न केवल उसे छापने का अनुरोध किया, बल्कि उसकी एक नकल
श्री माखनलाल जी चतुर्वेदी को भेज दी । अश्क जी ने हिन्दी में कभी
कविता लिखी न थी । उन्होंने चतुर्वेदी जी को लिखा कि उसमें कोई
भुटिनदहो 1 चतुवेदी जी ने उत्तर दिया कि सुफे तो इसमें कोई त्रुटि
दिखायी नहीं देती । आपकी अनुमति हो तो इसे छाप दूँ।
ओर उन्होंने विशाल भारत के उसी अंक में ( जो कदाचित अधिकांश
प्रेस में जा चुका था ) पिछले प्ृष्ठों पर वह कविता छाप दी। श्रश्क जी
सममते ये कि कविता प्रष्ठ डद प्रष्ठ पर शन से छपेगी, इसीलिए उसे उस
प्रकार दबी-सिसटी अवस्था सें पिछले प्ृष्ठों पर छपी देखकर उन्हें प्रसन्नत
नहीं हुई ! पर जब कुछ हो दिन बाद चतुर्वेदी जी ने लिखा कि कविता
बेहद पसंद कौ गयौ रै ओर कानपुर से हिन्दी के ग्रसिद्ध कवि श्री
ग्यारह
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