आस - पास | Aas - Pas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यह मान लिया जाता है कि तर्क की प्रविधि काव्य प्रक्रिया के अनुकूल
नहीं पड़ती। पर जहाँ तर्क के पीछे संवेदना का गहरा ताप होता
है, वहाँ कविता जिस तरह बनती है, इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण
है 'सच' शीर्षक कविता। कविता का आरम्भ एक गहरी प्रश्नात्मकता
के साथ हुआ है और एक तरह से यह प्रश्नात्म-
कता ही इस पूरी कविता की जान हैः
सच अगर मैं नहीं
तो सच क्या है?
क्या मेरा नहीं होना सच है?
और अगर मेरा नहीं होना सच है
तो यह कैसे हुआ मेरे हुए बिना ?
इस सग्रह की ज्यादातर कविताओं का मूल स्वर यही
प्रश्नात्मकता है-यही बुनियादी बोध कि यह कैसे हुआ मेरे हुए
बिना'। जो हुआ वह सामने है ओौर उस में जिये गये जीवन की
अनेक लये है ओौर अनेक रग। उस मे बिज्जी भी है; कोमल भी
और इन जाने-माने नामों के साथ पुष्पू, पट्टू और सुदर्शन भी। और
सबके साथ वही राग और राग की वही झंकृति जो मृदुल की कविता
का अपना खास ठोसपन है। एक सहज अनलंकृत मन से निकली
हुईं ये कविताएँ कोई दावा नहीं करतीं। बस हमें आमंत्रित करती
हैं कि हम इनके रूबरू बैठें, बतियाएँ और ऐसा करते समय अपने
सारे अर्जित साहित्यिक बोध को लबादे की तरह उतारकर एक तरफ
रख दें। मुझे विश्वास है, इस संग्रह की कविताओं को वृहत्तर
पाठक-समुदाय का वह सहज स्नेह मिलेगा, जिसकी ये हकदार हैं।
केदार नाथ सिंह
आस-पास ॐ@ श
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