आधुनिक अंतरराष्ट्रीय समस्यायें | Adhunic Antarrastriya Samasyen

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Adhunic Antarrastriya Samasyen by जगत नारायण -Jagat Narayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ श्राधुनिक शरन्तरराष्ट्ीय दअमस्यर्ै (७) सामान्य शख्राज्रों एवं सेनिको की संख्या को नियन्ित दंग से तथा उत्तरात्तर अधिकाधिक मात्रा में घटाया जाय । (८) आकस्मिक आक्रमण की सम्भावना को रोकने के लिए हवाई जाँच की व्यवस्था की जाय तथा उत्तरोत्तर ऐसी व्यवस्था की जाय जिससे अप्रत्याशित आक्रमण न होने का विश्वास हो जाय | (६ ) जाँच-सम्बन्धी संयुक्त राष्प्रसंघ के सुझाव को पहले कदम के रूप में अपना लिया जाय । (१०) पूर्व ओर पश्चिम के इस शीषेस्थ-सम्मेलन में मेरे प्रस्तावों के साथ-साथ आपके पत्र में दिये गये प्रस्तावों पर भी आवश्यक तैयारी के पश्चात्‌ विचार किया जाय | वैज्ञानिकों का संयुक्त राष्ट्संघ को पत्र १३ जनवरी सन्‌ १६५८ को ४४ देशों के ६ ००० से अधिक वेज्ञानिर्को के हस्ताच्तर से संयुक्त राष्;संघ को एक आवेदन पत्र दिया गया जिसमें यह्‌ माँग की गयी कि परमाणु बमो के परीक्षण पर रोक लगाने के सम्बन्ध में अब समभोता हो जाया चाहिए। वेज्ञानिकों ने अपने संयुक्त आवेदन-पत्र में कहा कि जब तक ये पारमाशविक शच्राच् केवल तीन राष्ट्रों (अमेरिका, रूस और ब्रिग्न) के पास है, तब तक उनके नियन्त्रण के प्रश्न पर समभोता नहीं हो सकता है। यदि परीक्षण चालू रहे तथा अन्य राष्ट्रों की सरकार के पास मी पारमाणविक शब्रा हो गये तो सम्भव हे संसार पारमाणविक युद्ध का शिकार हो जाय । श्री बुल्गानिन का श्री नेहरू को पत्र जनवरी '५८ के द्वितीय सप्ताह में सोवियत रूस के प्रधान मन्त्री भी, बुल्गानिन ने भारत के प्रधान मन्त्री प॑० नेहरू को सन्देश भेजकर आशा




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