प्रेत की छाया | Pret Ki Chaya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)च्छ তা আক শি শালি के
५०
प्रेत की छायी
' श्रुत लम्बी कहानी है । निश्चिन्त होकर कहूँगा |?
(पं तो समभाता था, श्रव तुमसे भेंट न होगी)»
“मुझे अभी बहुत काम करना है, भाई ! इतनी जल्दी न महँगा।
दुनिया में आया हूँ, तो कुछ करके जाऊँ गा, इुनिया को कुछ देकर
আজ মা”
आनन्द हमेशा इसी तदहे की व्व कर्ता था, मानो उसे अपनी हंक-
लता पर और उज्ज्वक्न भविष्य पर पृश् मरीखा हो | बहुथा मुझे ताज्जुंब
होता कि वैरी प्रतिकूल परिस्थितियों भे रह कर भी अपना यह विश्वास
.. बेड कैसे कायम रख सका। इन नातों को ले, कई लोग उसकी हँसी
: उंडते थे । पर कोमल शरीराले आनन्द में बहुत हृढ़दा थी, बह कमी
विचल्षित न होत। |
भोजन श्रादि से निषत्त हौ त्रानन्द खून भरी नीद सीया । दूसरे
दिन एके पहर दिन बीता, तमे उसकी नींद्र टूटी | “ मैंने मी थका-माँदा
जान, उसे छेड़ना उचित न समभा । न जाने कितने दिनों बाद उसे
इस तरह उट कर, भोजनं कजे के बद् संतोष श्रौं एल क्र ` मीढ नीद - ॐ
सोने को अवसर मिला था! ` उसने वैद थता की ধাঁ, রনি নিধন:
श्रनिश्चितता थी और कितना खतरा था ! ' =
=
‡ ९ রা
९ ~ य
[| = = 888 के ६ ४, )
उस दोपहर को इस दोनों बहुत देर ठक तिं कर्ते षे) अरनिः
ने विस्तारपूवक समी बात, ५. বউ ছা হলি ইল এন কী
4
५
/
৯
সির,
অই
धि
বসি
>
এ
~
५ টি
न क ~ ~
নিন
এ পিউ,
1 দি
५
(9 एज ह
3 টু
1554 পঠিত জট ৯
7 क 3 «८३,
प
= दद ५0%. 20
উপ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...