नीतिशास्त्र का आलोचनात्मक परिचय | Neetishastra Ka Alochanatmak Parichay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হর नीतिशाखर का आलोचनात्मक परिचय “दु्बल शरीर स्वस्थ बनने के लिए. व्यायाम का आग्रह रखता है?; यह “जिवेकपूर्ण आग्रह का उदाहरण है। नेतिक आग्रह की भाँति उपयक्त उदाहरणों में आग्रह! शब्द का दो प्रकार का प्रयोग भी किसी साध्य या आपदरण्ड के प्रति योग्यता के होने को व्यक्त करता है । तार्किक आग्रह मानवी च्राचस्ण पर लागू नहीं होता; विवेकपूर्ण आग्रह लागू होता है आर उसके द्वारा व्यक्त होने वाली अनिवायंता किसी इच्छा की अपेक्षा. रखती है । किंतु नैतिक आग्रह किसी शर्ते की अपेक्षा नहीं रखता : हमें आपने सम्मान का ख्याल रखना चाहिए--इसका अर्थ यह नहीं है कि ইন यदि न चाहें तो सम्मान का ख्याल न रक्खें । सम्मानित बनने के लिए, दूसरों का आदर पाना अच्छी बात है, किंतु हमें अपने सम्मान का ख्याल हर हालत में होना चाहिए। कांट नैतिक आग्रह को निरपेत्त देश ( (21601681 [11.9.४6 ) कहता है । निरपेक्ष होने से जैतिक और विवेकपूर्ण आग्रह में भेद है, आदेश होने से वह तार्किक आग्रह से भी अलग है। नीतिशात्न में नैतिक आग्रह का ही अध्ययन ईकया जाता है और इस पुस्तक में आग्रह शब्द का प्रयोग नैतिक अर्थ में . झ ही किया जायगा। अब हमें नेतिक आग्रह की मुख्य बातों पर गौर ` करना चाहिए। | मूल्य ओर संभावना ( ৬৪106 2420. 70995100111 ) हर नेतिक त्थिति की पहली बात उसमे किसी मूल्य ८ 21८€ ) की उपस्थिति होती है | जिस वस्तु की इच्छा की जाती है उसमें मूल्य की ._ <उपस्थिति का अनुभव भी किया जाता है। मूल्य निर्धारित करने के लिए सोच विचार करना जरूरी नहीं है। जिस प्रकार निर्णय अनुभव की सही ` अयाख्या कर सकने गं सहायक होता है उसी प्रकार उसकी सहायता से आल्य के तत्कालिक अनुभव को भी ठीक तरह से देखा जा सकता है । किसी वस्तु का मूल्य उस वस्तु की इच्छा करने परं निर्भर नद्य होता; इच्छा तो मूल्य की उपस्थिति का मनोभौतिक आधार है। द




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