नये पुराने झरोके | Naye Purane Jharokhe
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२४ नए-पुराने भरोखे
सुनाई थी। चतुर्वेदी जी का वह सरल बोलचाल के लहजे में रस पंदा कर देना,
नवीन जी का बैठे गले से भी घनों की गुरु-गंभीर घहर प्रतिध्वनित करना,
महादेवी जी का तृषित चातकी के-से कठ से लयपुणं काव्य-पाठ करना--गति
उन्टं सायद ही किसी दे सूना हो, उनकी मगतिन को दछोडकर--ग्रौर फिर वहं
मालवे की सव्या में, मालवे के काव्य-रसिकों के बीच, भूलने की चीख नहीं है ।
इसके बाद मृझे फिर अवसर नहीं मिला कि इन तीनों कवियों को साथ सुनू--
या देखें भी ।
उस समय तक कवि-हूप में मेरे नाम के आगे प्रशनवाचक चिह्ध लगा था ।
बहुतों की दृष्टि में शायद आज भी लगा है। पर नवीन जी ने घुझे कवि होने
को सनद दे दी थी। नाग्रपुर साहित्य-सम्मेलन के कवि-सम्मेलन के सभापति
के पद से जो भाषणा उन्होंने दिया था, उसमें उन्होंने मुझे बड़े स्नेह-सम्मान के
साथ स्मरण किया था। उस हाला-प्यालावाद की भी वकालत की थी, जो भब मेरे
नाम से संबद्ध हो चला था, पर जिसके आदि अधिष्ठाता वे ही थे। जब उनका
प्रथम काव्य-संग्रह 'कुकुम/ (१६३६) प्रकाशित हुआ, तब यह भाषण उसकी
भूमिका के रूप में दिया गया।
इंदोर सम्मेलन के बाद मैं अपने जीवन के संघर्षों में इतना धंसा रहा कि
गायद हो कभी नवीन जी से मिलने का मौका मिला) पर उनकी थोड़ी-सी
कविताओं को पढ़कर और थोड़े समय तक ही उनके संपक्क में आकर, मैंने उनके
व्यक्ति और उनके कवि की विशिष्टता की कुछ माकी पाली थी) वे छिद
कालीन और छायायुगीन, दोनों तरह के कवियों से भिन्न थे। वे जीवन की
ठोस अनुभूतियों, विदग्ध भावनाओं, ऋंतिकारी विचारों, सहज कल्पनाञओं,
सरल अभिव्यक्तियों के कवि थे। उन्हें जीवन के हुल-हुलास ने ही रोने-गाने को
विवश किया था। उन्होंने अपनी कविता के संबंध में जो कहा था, वह कोई
विनम्नता-प्रदर्शन नहीं था, वह बिलकुल सत्य था । “जहाँ तक मेरी कविताओं
का संबंध है, मैं सिर्फ़ यह कहना चाहता हुं कि मै' कवि न हो, नहिं चतुर
कहाऊं । हाँ, वाज़ औकात कुछ घुआँ-सा मन में मेंडराने लगता है और कुछ
कहने की व्वाहिश हो उठतो है। जहाँ तक छंद शास्त्र का ताल्लुक है, ने
उसे बिलकुल ही नहीं पढ़ा । न मुझे रसों के नाम मालूम है, तन मै यगरण-मगरा
জাননা हूं। ताहम मेरा यह दावा जरूर है कि मेरे छुंद ढीले-ढाले नहीं होते ।”
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