जब अंग्रेज आये | Jab Angrej Aaye

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हूँ. कं 'र इससे इस विषय की मदरसों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी ! पुस्तक को पढ़कर हमें 'झपनी दुबलताओं से सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि अंग्रेजों की 'विजय का मूल कारण उन लोगों की कूटनीति शोर षड़यंत्र ही नहीं हैं, बट्कि हमारे जातीय और व्यक्तिगत चरित्र की दुजलतायें ब्औौर दोष भी हैं । हम 'सुमनजी को हा्िक धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने हिन्दी-भाषी जनता के सामने इस प्रकार की उच्चकोटि की पुस्तक प्रस्तुत को है । हमें इसमें संदेह नहीं है कि 'शिक्षित जनता उनके परिश्रम का आदर करेगी । दि न्द् विश्ववि मम रद तिएचत केदारेम्वर भदाचाये. काशो




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