मारवाड़ी भजन सागर | Marwadi Bhajan Sagar

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Marwadi Bhajan Sagar by Raghunathprasad Singhania

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हूँ. कं. २ जयपुरी--यह जयपुर लावा किशनगढ़ तथा झाछावाड़ और टॉकके कुछ हिस्सोंमें बोठी जाती है। इसमें भी अच्छा साहित्य वर्तमान है । इतना ही नहीं वर्तमान राजस्थानीका गद्य- साहित्य तो सर्वथा इसीमें है । इसकी उपशाखायें नो हैं । नीचे उनके नाम झौर सच्‌ १४६३१ की मरदुमशुमारीके अनुसार बोलनेवालों की तादाद दी जाती है -- भाषा तादाद जयपुरी १ ०२१ ७४४ तोरावादी रदश ०२५ . कठेरा ४३ ९४३ चौरासी ३४ नागरछाढ ५१ ६३३ राजवाटी ८० ७७१ क्रिद्चनगढ़ी ६३ ६१४ अजमेटी ८५३९ ३ हाड़ोती द२३ ०११ सिपरी दे ७३७ कुछ जोड़-२.१५७ ९५५ ३ मेवाती--ग्रद अलवर भरतपुरके पश्चिमोत्तर प्रदेशमें और परजावके दृद्चिण पूर्वमें शुड़गांव और हिसार आदि जिलोंमें चोछी जाती है । इसमें सादित्य नहीं सा है। इसकी सी कई उप-




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