प्रश्नोत्तर तत्त्वबोध | Prashnottar Tattvabodh
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| जिन -वनिदयां, प्रभु पट वच आख्यात ॥
एह पुराण आचार ভুল, जीत आचार सुज्ञात ॥६॥ |
यह तुम्हारे कायं है, बलि तुमः कंसा योग ।
ए तुमने आचरण छे, हे सफ आंण आरोग ॥१०।
नाटकर्नी पूछा करी, तिहां आदर न दियो বাঁম।
मनमें भलो न जाणियो, प्रगठ पाठमें तांप ॥११॥
वलि भौन राखी प्रम्, देखा पाठ प्रसिद्ध ।
সমান নিত श्रागंल, नारक श्रां न दिद्ध ।१२।
वलि मनमें भलो न जाणियो, ए पिण पाठ मार ।
ক্সারা বিন লহি धर्म एणय, देखो श्रांख उघार।११)
तो तास स्थापन आगले, थाज्ञा किम दे बीर ।
यह न्यायक्ते पाधरो, थारों धर चित धीर ॥१४
, ॥ इति ॥ | ह |
॥ अथ हितीय द्रोपदी अधिकार ॥
.._॥ दोहा ॥
कोई कहे समकित छतां, हुपदसुता: अंवलोय-)
प्रतिमानी पूजा करी, জন্তু ত্য হিব जोय ॥९॥
वृत्तिः उच ` निथक्तनी, मेधहस्त कृत माहि 1
जे इक पुत्र थया पर द्रोपदी समकिंत पाय ॥२॥
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