प्रश्नोत्तर तत्त्वबोध | Prashnottar Tattvabodh

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Prashnottar Tattvabodh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| जिन -वनिदयां, प्रभु पट वच आख्यात ॥ एह पुराण आचार ভুল, जीत आचार सुज्ञात ॥६॥ | यह तुम्हारे कायं है, बलि तुमः कंसा योग । ए तुमने आचरण छे, हे सफ आंण आरोग ॥१०। नाटकर्नी पूछा करी, तिहां आदर न दियो বাঁম। मनमें भलो न जाणियो, प्रगठ पाठमें तांप ॥११॥ वलि भौन राखी प्रम्‌, देखा पाठ प्रसिद्ध । সমান নিত श्रागंल, नारक श्रां न दिद्ध ।१२। वलि मनमें भलो न जाणियो, ए पिण पाठ मार । ক্সারা বিন লহি धर्म एणय, देखो श्रांख उघार।११) तो तास स्थापन आगले, थाज्ञा किम दे बीर । यह न्यायक्ते पाधरो, थारों धर चित धीर ॥१४ , ॥ इति ॥ | ह | ॥ अथ हितीय द्रोपदी अधिकार ॥ .._॥ दोहा ॥ कोई कहे समकित छतां, हुपदसुता: अंवलोय-) प्रतिमानी पूजा करी, জন্তু ত্য হিব जोय ॥९॥ वृत्तिः उच ` निथक्तनी, मेधहस्त कृत माहि 1 जे इक पुत्र थया पर द्रोपदी समकिंत पाय ॥२॥




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