राजस्थानी लोकगीत | Rajasthani Lok Geet

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajasthani Lok Geet by Dr. Purushottalam Menaria

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ पुरुषोत्तमलाल मेनारिया - Dr. Purushottalam Menaria

Add Infomation AboutDr. Purushottalam Menaria

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हूँ. हैं. शब्दों में लोकगीत ही जनता की भाषा है लोकगीत हमारी समूची सस्कृति के पहरेदार हैं । स्व० रामनरेश त्रिपाठी ने लोकगीतो के लिए प्रकृति के उद्गार लिखा है । स्व० पं० मोत्तीलाल शास्त्री ने लोकगीतो की महत्ता इस प्रकार बताई है-- मानवस्वरूप के शरीर मन दुद्धि और श्रात्मा चारो तत्वों में प्रथम तीन से सुसम्बन्धित क्रिया सम्यता कहलाती है आर चौथे आत्मत्तत्व से सम्बन्धित क्रिया संस्कृति । लोकगीत वास्तव मे श्रात्म तत्व से श्रनुप्नाणित होने से सस्कृति के प्रतीक हैं । डॉँ० सत्येन्द्रजी ने लोकगीतो को निर्माता मे निर्माण के श्रहूं चैतन्य से शुन्य होना लिखा है । परी के मतानुसार लोकगीत श्रादिमानव का उल्लास- मय संगीत है । मेरिया लीच ने डिक्शनरी झ्राफ फॉकलोर में लोकगीतो की निम्नलिखित विशेषताएं बताई हैं-- १. लोकगीत लोक समूह मे प्रचलित होते हैं । २. लोकगीतो में लोक-समूह का काव्य तथा संगीत निहित है जिसका साहित्य मोखिक परम्परा से झ्राता है लिखित श्रयवा छापे हुए रूप से नहीं । दे. लोकगीतों मे गेय तत्व श्ौर चृत्य की घुन श्रवश्य होती है परन्तु नृत्य युरा सम्पूर्ण लोकगीत साहित्य के लिए श्रनिवाय॑ नहीं । कुछ व्यावसायिक तथा अन्य प्रकार के गीत साधारण रागो के भी होते हें जो कि नृत्य के लिए उपयुक्त नहीं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now