श्रीदरशव्रत नाटक (बागकेमोती) | Darashvratnatak (Bagkemoti)
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १३ ]
जेठी रानीने कोध किया बादीका कहना चित दीजे।
नहिं खुख प्रक्षाल किया उसने आखकी नदी बहाती है,
त्थागां जलपान सभी राजन शोकाप्रिसेहदय दहाती है
राजाका जेठी रानीसे ।
दु०-ऐ प्यारी क्यों तूकोघध किया विरतांत वो सभी सुनादीजे
जलपान 'भी तूने त्याग किया दिलविलखतभटबतलादीजे
रानी ।
दु०-क्या बात पूछते अब हमसे में निज कमोकी मारी हूँ,
में देखके अपनी निदाकों खुद्दीसे खदधिककारी हैं ॥
राजा ।
छु०-आखिर क्या बात बतादीजे मेरे दिलमें अकुलाई है।
निंदा किसनेकी है तुमरी अरूत यह बात सुनाई हे ॥
रानी ।
ला०--क्या कहूँ काम कुछ भी निं है अवनीत्ते । मेरौ
आदर टक सुझे न अब तो दीसे ॥ छोटी रानी है'
प्राणोंसे प्यारी आपहि अरु सबके निद्याबड़ी हमारी।
मालिन भी निंदा आज लाई इकदहारा। दीन छोटी
मोहि नहिं दीना भूपारों। तज दूगी अपने प्राण
तरह इसहीसे ॥ मेरा० ॥
राजा ।
व०--शोक इतना करो हो जरा बातपर मेरी प्यारी
तम्दारी है बुद्धी कष्टं! मै कमी नियता क्या
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