श्रीदरशव्रत नाटक (बागकेमोती) | Darashvratnatak (Bagkemoti)

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Darashvratnatak (Bagkemoti) by हरप्रसाद जैन - Harprasad Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १३ ] जेठी रानीने कोध किया बादीका कहना चित दीजे। नहिं खुख प्रक्षाल किया उसने आखकी नदी बहाती है, त्थागां जलपान सभी राजन शोकाप्रिसेहदय दहाती है राजाका जेठी रानीसे । दु०-ऐ प्यारी क्यों तूकोघध किया विरतांत वो सभी सुनादीजे जलपान 'भी तूने त्याग किया दिलविलखतभटबतलादीजे रानी । दु०-क्या बात पूछते अब हमसे में निज कमोकी मारी हूँ, में देखके अपनी निदाकों खुद्दीसे खदधिककारी हैं ॥ राजा । छु०-आखिर क्या बात बतादीजे मेरे दिलमें अकुलाई है। निंदा किसनेकी है तुमरी अरूत यह बात सुनाई हे ॥ रानी । ला०--क्या कहूँ काम कुछ भी निं है अवनीत्ते । मेरौ आदर टक सुझे न अब तो दीसे ॥ छोटी रानी है' प्राणोंसे प्यारी आपहि अरु सबके निद्याबड़ी हमारी। मालिन भी निंदा आज लाई इकदहारा। दीन छोटी मोहि नहिं दीना भूपारों। तज दूगी अपने प्राण तरह इसहीसे ॥ मेरा० ॥ राजा । व०--शोक इतना करो हो जरा बातपर मेरी प्यारी तम्दारी है बुद्धी कष्टं! मै कमी नियता क्या




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