धनकुवेर कारनेगी | Dhankuver Karnegi

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Dhankuver Karnegi by अशर्फी मिश्र - Ashrfi Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनका उचाकाल छ नायकके माता-पिता, चचा विलियम और चाची एटकिन, सभी मिलकर पिदसवर्ग दूंढ़ रहे थे और नियेश्रा जलप्रपातको दिखा रहै थे 1 छुछ दिनोंके बाद्‌ दी कारनेगीके चाची और चचाने अमेरिकाके लिये प्रद्यान किया। लड़कपनमें हो पिताके निर्लोॉक भाचरणका वालक कारनेगी- पर बड़ा प्रभाव पड़ा था । काना? ( ०) 1.8 )के आन्दो- लनमें कारनेगोफे माता और पिताने बड़ा भाग लियां था। एक दिन एक वहुत बड़ा गैर कानूनी सूंडा कारनेगीके धर्मे छिपाकर रखा गया था। पीछे उस भंडेको जुलूसके साथ बड़े शूमधामसे नगरमें निकाछा गया | कार्नछाके विरुद्ध कारनेगीके पिता; मामा वगेरहने जोरदार चक्तुताएं दीं। शहरभरमें অন্তনত্তী मच गयी । खून-खराबी भी हुई | शहरके शिह्डदालमें घुड़लवार फौज तैनात की गयी । कारनेगी-परिचारकी छ्षुब्धताका क्‍या कहना है । आधी रातके समय नगरके लोगोंने किचाड़ोंपर धक्के देकर. कारनेगी-परिवारको जगाया शीर कहा कि व्याख्यान देनेके कारण वेदी मारिखन पकड़कर जेखर दख द्वा गया है| शेरीफने कुछ सैनिकोंकी सद्ायतासे उसे नगरके कुछ मील दुर ही गिरफ्तार कर लिया था। छोग उत्तेज्ञित होकर जवर्दस्ती मारिसनको छुड़ाना चादते थे । अन्तमें अधिकारियोंकी प्रार्थना- पर चरित्रतायकके पिताने णिड़कीमें खड़े होकर कटद्दा--“यदि यहां कोई शान्तिका प्रेमी है, तो वह अपनी बांह मोड উ। लोगोंके ऐसा करनेपर उन्होंने कंदा--“अब कृपाकर शान्तिपूर्वक




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