विवेकानन्द साहित्य [खंड-६] | Vivekanand Sahitya [Khand-6]

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Vivekanand Sahitya [Khand-6] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विवेकानन्दं साहित्य १८ शिष्य--महाराज, क्या हमारे पुवंज भी कभी रजोगुण्‌ सम्पन्न ये ? स्वामी जी--ज्यो नहीं 2 इतिहास तो वताता है कि उन्होंने अनेक देशों पर विजय प्रप्त की भौर वहाँ उपनिवेदा भी स्थापितं किये । तिन्वत, चीन, सुमावा, जापान तक घर्मग्रचारकों को भेजा था। बिना रजोगृण का आश्रय लिये उन्नति का कोई भी उपाय नहीं। वातचीते मे रात ज्यादा वीत गयी । इतने मे कुमारी मूलर आ पहुंचीं । यह्‌ एक अंग्रेज़ महिला थी, स्वामी जी पर विशेप श्रद्धा रखती थीं । कू वातचीत करके कुमारी मूलर ऊपर चली गईं। स्वामी जी--देखता है, यह कसी वीर जाति की है ? वड़े घनवान की लड़की है, तव भी धर्मलाभ के लिए सब कुछ छोड़कर कहाँ आ पहुँची है! शिप्य--हाँ महाराज, परन्तु आपका क्रियाकलाप और भी अद्भुत है। कितने ही अंग्रेज पुछष और महिलाएँ आपकी सेवा के लिए सर्वदा उदयत हैं। आजकल यह बड़ी आश्चर्यजनक वात प्रतीत होती है। स्वामी जी--(अपने शरीर की ओर संकेत करके) यदि शरीर रहा तो कितने ही भौर आश्चर्य देखोगे। कुछ उत्साही और अनुरागी युवक मिलने से मैं देश में उथल-पुथल मचा दूंगा। मद्रास में कुछ ऐसे युवक हैं, परन्तु बंगाल से मुझे विशेष आशा है। ऐसे साफ़ दिमाग़वाले और कहीं नहीं पैदा होते; किन्तु इनकी मांस-पेशियों में शक्ति नहीं है। मस्तिप्क और शरीर की मांस-पेशियों का वल साथ साथ विकसित होना चाहिए। फ़ौछादी शरीर हो और साथ ही कुशाग्र बुद्धि भी हो तो सारा संसार तुम्हारे सामने नतमस्तक हो जायगा। इतने में समाचार मिला कि स्वामी जी का भोजन तैयार है। स्वामी जी ने शिप्य से कहा, 'मेरा भोजन देखने चलो।” स्वामी जी भोजन करते करते कहने लगे, “बहुत चर्वी और तेल से पका हुआ भोजन अच्छा नहीं। पूरी से रोटी अच्छी होतो है। पुरी रोगियों का खाना है। ताज़ा शाक अधिक मात्रा में खाना चाहिए, और मिठाई कम ।” कहते कहते शिप्य से पूछा, “भरे, मैंने कितनी रोटियां खा लीं! क्या और भी खानी होंगी ?” कितनी रोटियाँ खायीं ! उनको यह स्मरण नहीं रहा, और यह भी वह नहीं समझ पा रहें हैं कि भूख है या नहा। वाता वाता में झरीर-न्ञान इतना जाता रहा। कुछ और खाकर स्वामी जी ने अपना भोजन समाप्त किया। शिप्य भी विदा लेकर कलकते को वापस छोटा। गाड़ी न मिलने से पैदल ही चलछा। चलते चलते विचार करने छगा कि ने जाने कल फिर कब तक वह स्वामी जी के दर्शन का जायेगा ।




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