ऋग्वेद शतकम् | Rigved Shaktam
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.4 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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है सम्ू) कीति दाता और ( वीरवत्तममू )
# जिस धन में अलन्त विद्वाद् और शूरवीर
है पुरुप विद्यमान हैं ।
है . नाता परमेश्वर की उपासना करने से
ओर उसकी बैदिक आज्ञा में रहन से ही
सलष्य, ऐसे उत्तम धन को प्राप्त होता है कि,
# जो धन प्रतिद्नि बढ़ने वाला; मनुष्य की
उष्टि करने वाठा और यश देने वाला हो ।
जिस धन से पुरुप, महाविद्वान् शूरवीरों से
उुर दोकर, सदा अनेक प्रकार के सुखों से
ह युक्त होता हे, ऐसे धन की प्राप्ति के लिये
*ै भीउत भगवान् की भक्ति करनी चाहिये ॥३॥।
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