उच्चतर समाजशास्त्रीय सिद्धान्त | Advanced Sociological Theories

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Advanced Sociological Theories by शम्भूलाल दोषी - Shambhulal Doshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 उच्वत्तर समाजशास्ीय सिद्धान्त उसकी अपनी दै । उसका दूसरा निवास अपनी जमीन के ठीक बाहर अपनी पडौसी कौम के निवास की भूमि है। जब वह इस दूसरी कौम की जमीन के साथ अपने आपको पृथक समुदायो से अलग-थलग है । यह पडौसी से पृथकता उमे किस भौ तरह के परिवर्तन को स्वीकार करने नही देती। परिणामस्वरूप इस कौम की सम्पूर्ण सस्कृति में जडता आ जाती है--एक प्रकार का ठहराव आ जाता है। इस स्थिति को बेकर और बार्नस ने मानसिक अचलवा (1६४४७ 17091) के पद द्वारा व्यक्त किया है। जब मानसिक अचलता किसी कौम में आ जाती है तो यह कौम किसी भी तरह के सरचनात्मक परिवर्तन को सिद्धान्त या विचारधारा को अपनाने के लिये राजी नहीं होती | 19 वी शताब्दी में ब्रिटिश उपनिवेशवादी राज ने हमारे देश में कारखानो से बुना सूती माल बाजार में रखा तो लोगों ने साधारण रूप से इसे नही अपनाया। अब भी उनके लिये चरखा विश्वसनीय साधन था जिसके द्वारा कपडा बुना जा सकता था। गाधी जी लोगों की इस मानसिक अचलता को भली प्रकार समझते थे। इसी कारण उन्होंने विदेशी सूती कपडों का विरोष चरखे से किया । कुछ देश तो ऐसे हैं जिन्होंने वर्षों तक अपनी नीति के अनुसार अपने आपको दूसरे समुदायों से पृथक रखा है। ऐसे देश यह मानकर चलते हैं कि दूसरे समुदायों के साथ सम्पर्क उनकी पीढियों से चली आने वाली सस्कृति को गदला कर देते हैं। इन लोगों में मानसिक अचलता इतनी गहरी और शक्तिशाली होती है कि वे किसी भी प्रकारके सामाजिक परिवर्तन की कतई इच्छा वही रखते / (2) नातेदारी सग्ठन ओर मानसिक अच्लता 11111111 11111, आदिम ओर प्रागूलपि समाजो कौ मानसिक अचलता का एक ओर कारके, मतिदारी অন্ন है। इने समाज को एकता को कडी में बाधे रखने का काम नातेदारी व्यवस्था करती है। पानी की धार को तो काटा जा सकता है, पर एक ही रक्त के लोगों को कभी अलग नहीं किया जा सकता। इस तरह का चिन्तन प्रागुलपि समाज को बाधे रखता है। नातेदारी सम्बन्ध इतने शक्तिशाली होते हैं कि उनके सामने गैर नातेदारों के सम्बन्ध बेमतलब हो जाते हैं। बचपन से ही बच्चा इस तरह बडा किया जाता है कि वह वयस्क होने के बाद अपने नातेदारों से बाहर किसी भी प्रकार के सम्बन्ध को सन्देह की दृष्टि से देखता है। यदि किमी जाति या कौम का व्यक्ति गैर कौम के व्यक्तियों के साथ किसी तरह जुडता है तो लगता है जैसे शरीर का एक अग शरीर से छूटकर अन्यत्र चला गया हो। नातेदारी संगठन, इस भाँति प्रागुलपि समाज में सास्कृतिक विकास नही होने देता । इसलिये मानसिक अचलठा কী बनाये रखने मेँ नातेदारी सगठन बहुत शक्तिशाली हैं। (3). सामाजिक वियत्रण ओर वृद्धलत 50001 0071701 27021425 सामाजिक विद्वार या सोच में यानि सामाजिक सिद्धान्तो के निर्माण में पृथकता, मानसिक




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