मैकती काया मुलकती धरती | Maikati Kaya Mulakati Dharati

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Maikati Kaya Mulakati Dharati by अन्नाराम सुदामा - Anna Ram Sudama

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बुरसी वर्ध दपतर साँकडा हुदे, फोईला रा पेट ऊँचा उठे, मानखे रा चिपे अर चुसें, कागदा मे साख सागीडी जमानो चोखो, जमीन मे पटक्या काम मरे, प्रेम कम परचार धणो, विधान मे यात्त पात रा जोर क्म, चौड वी बिना पार ही को पड़ेगी मिनख दवै पौसाय उठे, भागवान घणा भागवान हुवे, गरीब और गरीब, पिरधीराज बापडा दुखी दोरा, जेचद बैठा चू मा करे गूजा भरे, नागा रा प्रात्त बणे सूधा ने गरिण्डक्जी ही को पूछेनी सिख दरसण ने ही को साघैनी, ग्रुरु सगढछा ही 1 লদলণ भाडा कांड धाप^र মানা, तो दोसी कुण ?ै झापा-भ्रापा खुदही। समढाएका पटी दौड) धरती री भ्रवाज कुरा सुरी-कुण पिद्धाणं ? फूरसत ही कीन ? नानी री बात श्रव ्हारं सावठ सममे আসার । काइठातो लोग, जाणष्र को सोचनी अर काँइ ठा, वै घरमादे री दवायाश्रर धरमाईं 'े धान सान्खा पकमोड बामण भ्रां दार पूरा पूग्योडा हृग्या । तो ही सफा नास्ति का है नी । है माई रा लाल श्रगु इसा घणा ही, जिका जत्मभोम री ्रासीस नै दौड रात दिन, जीवै बौ सातर अर मौको आया मरे वी खातर हंस हैसर । वरीकायासु मैक उठे पारिजात सू वेसी, फेर धरती मुक्के अणमाँवते मोद सू । वारो साथ देणों ईं घरती री मुछ भावना पिछाणनो हे । घरती रो उपगार भूलणो मा ४ हाँचछ बाढण सूृ' ही माडो, घणो माडो है। जल्मभोम री आसीस में ही भ्राणद है-आणद मे हो ईश्वर है श्र ईश्वर आधी धरती रो सुख- दाता है। इ सातर पला श्रीगणेस जल्मभाम री आसीस सर ही करणो चार्दने । 'उपसप मातरम्‌ भूमिम्‌ जत्मभोम री सेवा कर जल्मभोम सु जगत जुडयोडो है, इ सू' ही जगत अर जगदीस्वर दानु राजी हुमी झो ही पोयी से मूछ है । हूं समभू पोथी राजस्थानी जाणनिया ने হু धरती रै प्यार खातर की न वी ऊँचो ही उठासी । उठासी तो समभझो, न मैनत ही রাহ মত मृठ्कती धरती १ १५.८०५ 4




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