श्री जैन प्रतिबोध चिन्तामणि भाग - १ | Jain Pratibodh Chintamani Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jain Pratibodh Chintamani Bhag - 1  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१६) बाप वीय माता स्द्रने-जीवा, याधेखीनो आहार भृरुगथो. जन्म्यां . परे जीवा, शरी करे जडार ॥ जीवा ॥ १६ ॥ आठक्रोड सुइेलाल करी जीवा, আদব माङि! अटदुणि तिणिसू वेदना जीवा, स- हीते गलोवाल ॥1 जीवा १७ ॥ जम्मता कोड गुणी कदी जीवा, जरतां क्रोडा क्रोड जन्ल सरणः नी जीवने जीवा,ए ऊ म्देदी खोड ४ जीदा १८ ॥ ইহা अनाश्ज उपन्थो जीवा, ईन दणि यःय ॥ ওত জা জানা ইন जादा,दलन कादा जाय | '॥जीवां॥ १९ ॥ कदियक मंर्कव पावियोजीवा; इचम कुछ अवतार ॥ देहनिरो गीणपावी नदी जीवा, धटी আনা অলাহ || जोदा | ९० ॥ ठगफासी- मगर सोरडा जीवा, झीमर कराई पाल ॥ उपजी ने ममो नदी जीवा, अलो सही कोई जात ५ ৯১৬ ০২ रे जीवा 1२१ ॥चवदेदौीराज्चरोकमें जोरा, जन्म মহতালা ভীত ॥ -बालांगरमात्रपर्श, इजावा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now