मानदण्ड वनफूल | Mandand Wanphool

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Mandand Wanphool by माया गुप्त - Maya Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मनिदण्द १५४ शो धते उसी ततम कर लो मुज को पहा मेज दो । হুজ পা তা দো । হিয্ধেশশ ঈ ধা, হলনা ামান হহিঘ , মাটি कमरे भे है धायद, उसे ते भ्रापी। णरिणी से पूछे घो, पहू पता देगी ফুল सता गया | दुंगधी विस्मयते योत उटी, भे सामान यहां मपों मंगा रहें हैं 7! बह दियाने मे; तिए कि क्यों प्राज प्ापकों गाड़ी से भागे नहीं हिमा गया । हगारी पौषटरी फा গশহা ध्ायद प्रापका सूदयेस सोतपे हौ निस पाएगा प्रौर उसके राघ घगर दइग पिट्ठी का पर्ष जोड़ में तो प्राप समझे जाएंगी कि भाषको कयों रोका गया है । ह्विरिष्यगर्भ दशण से एक নিত্তা निशगत ताए धो र उसे पढ़ सुगाया 1 *शुगशीदेदी कस खयेरे यहां से रदाना हो णाएंगी। হন सीगो में आपकी फवंटरी पे डाइगामाइट से उड़ा देये का निश्चय किया है। तुंगधी -२ दयी प्रापती पंयटरी का सजशा साने পা री हैं। धायद भापकी फैपटरी के ही किसी भादगी से सवश्ा तैयार कर रखा है। तुगशी धपनी धांगोंसे शारो पौख़ें देशने के सिए भौर यह नरेश साने के लिए एुद था रही हैं।.. मै एक प्रस्तिद घातंकवादी मद्दिता हैं। उसको पहुचानता सुझिफिस सही , कणा, कयो पे गुन्दरी है भौर उनके प्ये गास पर एफ फ्रोदा-सा पित्‌. 1 देए ही प्राप पहचाग जाएगे। पिदर पकर हिरष्पगमें ने मुगधी की पोर देतां । “/हुक्षिवा हूबहू मिल रह है, को है यह भी उम्मोद कररा हूं कि पठदटरी,. श सवया भी पापक মুর্খ ম মিনমা। সাং ঘহ মিল গহা তা ঘাহা है, मेरे ध्पददार का पर्भ भी भापके सामने रपप्ट हो घाएगा।! हुंगंधी फा थैदरा एकमारगी फ्रर पष्ठ गया था, শী फिर धीरे-धीरे टीड हो गया। ये प्रकृतिस्‍्प होने की कोशिश कर रही पी । थे समझ रही पीं कि पघ्रात्ममोपन हो प्रेष्टा घय स्प्ष है। धार बात घद एवएक उड़ाई नहीं था प्री, इंसी-मडाक से उसे बुछ दृाा-मर विया था सकता है। |




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